शनिवार, 3 नवंबर 2018

गीता का द्वितीय अध्याय,महत्त्वपूर्ण प्रश्न

1गीता के द्वितीय अध्याय में कुल श्लोक कितने हैं ----72 श्लोक 

  2.गीता की द्वितीय अध्याय में वर्णित विषय है?-- --सांख्य योग

 
गीता का द्वितीय अध्याय,महत्त्वपूर्ण प्रश्न
गीता का द्वितीय अध्याय,महत्त्वपूर्ण प्रश्न

 3.गीता में देही शब्द का अर्थ है?--आत्मा 

  4.गीता के अनुसार सुख दुःख की अनुभूति होती है ?-- शरीर को  

 5.गीता के अनुसार किस का अभाव नहीं होता है ?--सत का 

  6."नायं हन्ति न हन्यते"यह किसके लिए कहा गया है---आत्मा के लिए

 7."अजो नित्य शाश्वतो अयं पुराणो"यह विशेषण गीता में किसके लिए आया है?----आत्मा के लिए    

8.आत्मा को "स्थाणु" बताया गया है क्योंकि?----क्योंकि आत्मा अविकारी है।  

 9.पंच भूतात्मक शरीर जन्म से पूर्व किस रुप में रहता है?----अव्यक्त रूप में                

10.अच्छेद्य,अदाह्य,अक्लेद्य,अशोष्य ये  सभी विशेषण इसके लिए प्रयुक्त हुए हैं ?----आत्मा के लिए                

11. गीता में धर्म युक्त युद्ध करना किसका सबसे बड़ा कर्तव्य   बताया गया है?---क्षत्रिय का    

12.गीता मॆं व्यवसायात्मिका बुद्धि का अर्थ है?--निश्चयात्मिका बुद्धि  

 13.गीता में फल की कामना करने वाले को किस की संज्ञा दी गई है? ---कृपण की 

  14".योग कर्मसु कौशलम्" यह प्रसिद्ध उक्ति है?---गीता की           

15.गीता के अनुसार अमृतत्व को प्राप्त करने योग्य कौन है?---धीर पुरुष    

 16.गीता में "योग" किसे कहा गया है? ---समता को                                                                                                                

( गीता के द्वितीय अध्याय (सांख्य योग)के बारे में और अधिक जानकारी दूसरी पोस्ट में प्राप्त कर सकते है।)  


संस्कृत साहित्य के महत्वपूर्ण प्रश्न                             

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