लाँकडाउन:सकारात्मक पक्ष
स्कूलो की छुट्टियाँ चल रही हैबच्चे अपने दादी या नानी के यहाँ है।कई सालो के बाद इतनी छुट्टियाँ मिली है।अपने हम उम्र ताऊजी,चाचाजी के बच्चो के साथ खेल रहे है।बहुत दिनो के बाद उनके साथ लड़ने झगड़ने का मौका मिला है।मै यह नही कह रही कि जो समय चल रहा है बहुत अच्छा है। मै जानती हूँ आप सब जानते है कि सम्पूर्ण विश्व में विपरीत परिस्थितियाँ बनी हुई है।लेकिन इस समय को मिलकर बेहतर बनाया जा सकता है। तनाव के वातावरण की बजाय खुशहाली फैलायी जा सकती है। घर पर रहने का समय मिला है तो उदास होकर समय निकालने की वजह समय को मूल्यवान बनाने की सोचे। केवल आप ही नहीं है, जो इस समय घर पर रह रहे हो। व्यस्त से व्यस्त व्यक्ति भी आज अपने परिवार के साथ अपने घर पर हैं लेकिन लोगों की नजरिये का फर्क है कि कुछ लोग तो इस समय को यादगार बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं तो कुछ लोग सोच सोच कर ही बीमार हो रहे है कि है यह समय कब निकलेगा। यह समय दुनिया में बहुत बड़ा परिवर्तन लाने वाला है सकारात्मक परिवर्तन ।बहुत से लोग जो अपने घर को प्रतिदिन ढंग से देख भी नहीं पाते उन्हें अपने घर के कोने कोने का मालूम चल रहा है।वे अब तक अनजान बने बैठे थे कि घर में सभी कुछ अच्छा है किसी आवश्यक सुविधा का अभाव नही है। लॉक डाउन का समय पूरा होगा तो अपने घर को पहले से बेहतर करने की कोशिश करेंगे। आज तक तो उन्होंने घर की महिलाओं की बातों पर शायद ध्यान नहीं दिया होगा कि उन्हें कितनी तकलीफ होती है सुविधाओं के अभाव में। जिस व्यक्ति नेआज तक किचन में चाय तक नहीं बनाई थी बस जब चाय पीने की इच्छा हुई अपनी पत्नी को आवाज लगा दी चाहे वह किसी जरूरी काम में ही क्यो न लगी हुई हो। आज वह घर का खाना बनाने में अपनी पत्नी की मदद कर रहे है। अब जान पाएंगे कि एक महिला इतने लोगों की फरमाइशो को सालो से कैसे पूरा करती होगी और अभी तक कर रही है। वो भी बिना किसी स्वार्थ के।अब तक उसकी थकान को कोई क्यू नही देख पाये जब कि एक महिला अपने घर के पुरुषो के काम से लौटते ही पानी का गिलास भी हाथ मे देती है,जल्दी से चाय बनाती है और पूछती है कि किसी तरह की परेशानी तो नही हुई आने जाने में ।आज का दिन कैसा रहा जब कि पुरुषो ने इतने सालो में कितने दिन पूछा होगा ? जरा सोच कर बताइए🤔🤔🤔। अब उम्मीद करते है कि बैठे बैठे अपनी पत्नी को आर्डर देना शायद बंद हो जाए और अपने छोटे-छोटे कामों को स्वयं करने की आदत का विकास हो। एक बडा परिवर्तन बच्चो के प्रति नजरिये को लेकर भी आने वाला है। जो माता पिता बच्चों को नासमझ समझते हैं उन्हें बच्चों की समझदारी का एहसास होगा उन्हें भी पता चलेगा कि बच्चों से बहुत कुछ सीखा जा सकता है बच्चों की कीमत उनकी उनकी क्लास में प्राप्त मार्क्स के आधार पर आंकना गलत है। वर्किंग पेरेन्ट्स को अपने बच्चो की योग्यताओं का, रुचियो़, उनकी उनकी आवश्यकताओं का पता चल पाएगा और जिससे भविष्य में वह अपने बच्चे की तुलना किसी और बच्चे से नहीं करेंगे और ना ही उनके क्लास में प्राप्त मार्क्स के आधार पर उनके भविष्य का निर्धारण करेंगे । माता पिता के साथ इस समय बिताए गए अच्छे पलो के परिणामस्वरूप बच्चे अपने माता-पिता के और करीब आएंगे उनकी झिझक कम होगी जिससे भविष्य में किसी प्रकार की परेशानी या तनाव होने पर वे वे बेझिझक अपनी बात उनसे कह पाएंगे । हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले दिनों में स्टूडेंट्स की सुसाइड केसेज में कमी होगी। यह भी हमारे लिए किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं होगा।
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सारांश यह थी 21 दिनों के लाँकडाउन के कुछ सकारात्मक पहलू शायद इन सभी से आप भी सहमत होंगे। अब हम सबको हर हर पल को डर-डर बिताने की बजाय अपने लिए ,अपने परिवार, अपने समाज ,देश और संपूर्ण विश्व के लिए बेहतर बनाने की सोच रखनी चाहिए ।
मिलकर जीत ही लेंगे हम यह जंग
कोरोना को नहीं डालने देंगे अपने रंग में भंग ।
इतनी हिम्मत नहीं की है हमसे जीत पाएगा वो
क्योंकि अपनों की सच्ची दुआएं हैं हमारे संग।।
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