हे कृष्ण.... मुझे अर्जुन बना दीजिए
भूलबैठा हुआ कर्तव्यो को अपने...
उचित अनुचित का ज्ञान करा दीजिए
हे कृष्ण.... मुझे अर्जुन बना दीजिए
मोह के धागो में मै क्यो इस तरह लिपट चुका हूँ
काटना चाहता हूँ .....पर नही काट रहा हूँ
हे कृष्ण..... मुझे अब तो स्वतंत्र कीजिए
हे कृष्ण..... मुझेअर्जुन बना दीजिए।
अब तक बहुत युद्ध लडे़ पर इस युद्ध से क्यों भाग रहा हूँ
अपने ही अस्त्र-शस्त्र क्यो पटक दिए है मैने
हे कृष्ण..... कुछ तो बता दीजिए
हे कृष्ण..... मुझे अर्जुन बना दीजिए।
लक्ष्य ओझल हो रहा है निशाना कैसै लगाऊँ
पहले जैसी एकाग्र दृष्टि कैसे मैं पाऊँ
हे कृष्ण...मछली की आँख मुझे दिखा दीजिए
हे कृष्ण...मुझे अर्जुन बना दीजिए।
अपनी शक्ति को भलीभाँति जानता हूँ फिर भी
विचारो-के चक्रव्यूह से कैस निकल नही पा रहा हूँ
मेरे सखा ...मेरा साथ दीजिए
हे कृष्ण.....फिर से खुद को सारथी बना लीजिए
हे कृष्ण....मुझे अर्जुन बना दीजिए
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धन्यवाद
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