महाभारत का स्वरूप - साहित्य जगत को देन :-
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महाभारत एक विश्व कोषात्मक ग्रंथ है। जिसमे एक लाख श्लोक है।इसमे कुल
18 पर्व माने जाते है जिसमें कौरव पांडवो के इतिहास के साथ साथ प्रसिद्ध आख्यान वर्णित है जिसके आधार पर अनेक महाकाव्यो की रचना हुई है, संस्कृत में प्रसिद्ध नाटक लिखे गए ।महाभारत में सभी विषयो का समावेश होने के कारण यह महान ग्रंथ के रूप में प्रसिद्ध है।महाभारत के रचयिता
महर्षि वेदव्यास है जो पराशर मुनि और सत्यवती के पुत्र है महाभारत के विकास के सोपान :--महाभारत महाकाव्य का विकास तीन चरणो में हुआ है-- 1 .जय 2. भारत 3. महाभारत
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महाभारत के विकास के सोपान |
शकुन्तलोपाख्यान महाभारत के आदिपर्व के अध्याय 68-74 में है। नलोपाख्यान महाभारत के वनपर्व के अध्याय 53 से 79 तक है। रामोपाख्यान महाभारत के वनपर्व के अध्याय 274-291में है रामोपाख्यान मार्कण्डेय मुनि द्वारा युधिष्ठिर को सुनाया गया है सावित्री उपाख्यान महाभारत के वनपर्व के अध्याय 292-99तक है। महाभारत पर आश्रित काव्य- भारवि कृत किरातार्जुनीयम् , माघ कृत शिशुपालवध , क्षेमेन्द्र कृत भारत मञ्जरी, श्रीहर्ष कृत नैषधीयचरितम् , नलाभ्युदय कृत वामनभट्टबाण महाभारत पर आश्रित नाटक--महाभारत का कथानक लेकर भास ने छ: नाटक लिखे है--1.दूतघटोत्कच 2.दूतवाक्यम् 3.कर्णभार 4.मध्यमव्यायोग 5. पञ्चरात्रम् 6.उरूभंगम् कालिदास कृत अभिज्ञानशाकुन्कलम् (7अंक), भट्टनारायण कृत वेणीसंहार (6अंक), राजशेखर कृत बालभारत महाभारत पर आश्रित चम्पू काव्य--1.नलचम्पू--त्रिविक्रमभट्ट, 2.भारतचम्पू--अनन्तभट्ट 3.पांचालीस्वयंवरचम्पू--नारायणभट्ट 4.द्रौपदी परिणय चम्पू--चक्रकवि महाभारत पर लिखे गए टीकाग्रंथ ---ज्ञानदीपिका --देवबोध ने, विषम श्लोकी विमलबोध ने ,भरतार्थप्रकाश नारायण सर्वज्ञ ने , भारतभावदीप नीलकंठ ने ,लक्षाभरण वादिराज ने भारतोपायप्रकाश चतुर्भुजमिश्र ने महाभारत ग्रंथ की महत्ता--महाभारत एक महान विश्वकोष है।जिसमे धर्म,अर्थ,काम,मोक्ष से सम्बन्धित सभी विषयो का समावेश है ,इसी कारण कहा गया है कि जो विषय इसमें प्राप्त है। जो यहाँ उपलब्ध नही है वे अन्यत्र भी प्राप्त नही होते है।
धर्मे चार्थे च कामे मोक्षे च भरतर्षभ । यदिहास्ति तदन्यत्र यन्नेहस्ति न तत्क्वचित ।।
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