बूँदे नही ,अनमोल मोतियो का हार लग रहा है
यह असीम आसमां आज इन अनमोल मोतियो को
क्यो डुलका रहा है।
लगता है किसी खुशी मे इन मोतियो को लुटा रहा है।
कही ये मोती पेडो के पत्तो पर है,कही किसी की पलको
पर कही किसी की मुट्ठी मे है, कही किसी के अलको पर
सच मे ये मोती मानो सभी को धनवान कर रहे है
क्यूँकि दिल का पूरा हर अरमान कर रहे है।
आज आसमां से बरस रहे इन मोतियो ने
लगता है किसी खुशी मे इन मोतियो को लुटा रहा है।
कही ये मोती पेडो के पत्तो पर है,कही किसी की पलको
पर कही किसी की मुट्ठी मे है, कही किसी के अलको पर
सच मे ये मोती मानो सभी को धनवान कर रहे है
क्यूँकि दिल का पूरा हर अरमान कर रहे है।
आज आसमां से बरस रहे इन मोतियो ने
इस धरा का दुलहन सा श्रॄंगार किया है।
जैसे मन ही मन कोई बडा आभार किया है।
मस्तक पर चिन्ता की लकीरे जो गहरी हो रही थी
जैसे मन ही मन कोई बडा आभार किया है।
मस्तक पर चिन्ता की लकीरे जो गहरी हो रही थी
वो देखो सिमटसी गई है ।
वर्तमान हालातो से बेरंग हुई आज जिन्दगी