बुधवार, 24 फ़रवरी 2021

कविता-उडान#poem#motivational

 अगर खुले आसमां में उडने को है बेकरार

फिर उडने को कर हौसलो के पंखो को तैयार

रंग बिरंगे खगो की उडान को निहार तू

समाज की जंजीरो से मुक्त होकर भर दिल से गहरी (ऊँची)उडान तू

जीवन को बना ले एक खुला आसमान

 इंद्रधनुषी होगी देख फिर तेरी देख शान


उडान


हे कृष्ण.....मुझे अर्जुन बना दीजिए


सोमवार, 8 फ़रवरी 2021

संस्कृत साहित्य के महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर(rpsc collage lecturer#net#set

 1.विश्वनाथ के मत में काव्य की सिद्धि किस से होती है?

-रस से

विश्वनाथ के अनुसार "वाक्यं रसात्मकं काव्यम्" अर्थात रसात्मक वाक्य ही काव्य है।


2.विश्वनाथ ने किन किन के काव्य लक्षणों का खंडन किया?

-मम्मट,कुन्तक,भोज,आनन्दवर्धन,वामन


3.काव्यलक्षणो का खंडण करते हुए आचार्य विश्वनाथ "स्ववचनविरोधाद् अपास्तम्" यह किसके संबंध में कहते है?

--आनन्दवर्धन 

4आनन्दवर्धन ने काव्य का महत्त्वपूर्ण तत्त्व किसे

 माना है?

-ध्वनि को


5.योग्यताकांक्षासत्तियुक्तः पदोच्चय क्या कहलाता है?

-वाक्य

योग्यता, आकांक्षा और आसक्ति से युक्त पद ही वाक्य है। 

6. साहित्य दर्पण में काव्य प्रयोजन बताया गया है?

-चतुर्वर्गफलप्राप्ति

7.अद्भुत रस मे कौनसा स्थायी भाव है?

-विस्मय

8."अवस्थानुकृतिर्नाट्यम्" नाटय का यह लक्षण किसने दिया है?

- धनञ्जय ने

धनञ्जय ने अपने काव्यशास्त्रीय ग्रंथ"दशरूपक"में नाटक का लक्षण इस प्रकार किया है

" अवस्थानुकृतिर्नाट्यम्

रूपं दृश्यतयोच्यते।

रूपकं तत्समारोपात्

दशधैव रसाश्रयम्।।


9.नमस्तस्मै गणेशाय

यत्कण्ठःपुष्करायते।

यदाभोगघन ध्वनो

नीलकण्ठस्य ताण्डवे।।

यह मंगलाचारण किस ग्रंथ मे और किसने किया है?

-दशरूपक में आचार्य धनन्जय ने

यह नमस्कारात्मक मंगलाचारण है जिसमे आचार्य धनञ्जय ने श्री गणेशजी की स्तुति की है।

  

10.अर्थोपेक्षक के कितने भेद है?

-पाँच

१.विष्कम्भक

२ प्रवेशक

३चूलिका

४अंकान्त

५अंकावतार


11.दशरूपककार के अनुसार स्थायीभाव कितने है?

-आठ

रति =श्रृंगार रस में, हास=हास्य रस में

 शोक =करुण रस में, क्रोध=रौद्र रस में

 भय=भयानक रस में, उत्साह=वीर रस में

विस्मय=अद्भुत रस में,जुगुप्सा=वीभत्स रस में

 ये आठ स्थायी भाव माने गये है।

 

12.सात्वती वृति किस रस में होती है?

-वीर रस में

13.वृतियाँ कितन मानी गयी है?

-4

१कैशिकी  २सात्वती, ३आरभटी ,४भारती


14.कैशिकी वृति किस रस में होती है?

श्रृंगार रस में

  कैशिकी वृति=श्रृंगार रस में

सात्वती वृति=वीर रस में

आरभटी=रौद्र और वीभत्स रस में

भारती वृति=सभी रसों में

15.रूपक के दस भेदों मे एकल अभिनय किसमे होता है?

-भाण में

भाण मे धूर्तचरित्र का वर्णन होता है?

-१अंक होता है।

नायक विट होता है।

कथावस्तु कवि कल्पित होती है।

 भारती वृति पायी जाती है।


16.मालतीमाधव का नायक किस कोटि का नायक है?

-धीरप्रशान्त

नागानन्द का नायक जीमूतवाहन, मृच्छकटिकम् का नायक चारुदत्त भी धीरप्रशान्त नायक है।


17.धूर्तसमागम रूपकों के दस भेदों में से कौनसा है?

-भाण(१अंक)


18.वीथी क्या है?

-रूपक


कर्पूरमञ्जरी उपरूपको में से कौनसा है?

-सट्टक

सट्टक जवनिकाओं में विभाजित होता है।


19.कर्पूरमञ्जरी के लेखक है?

-राजशेखर


 20.दशरूपककार के अनुसार सन्ध्यंगो के कितने प्रयोजन है?

-छः

इष्टस्यार्थस्य रचना गोप्यगुप्ति प्रकाशनम्।

रागःप्रयोगस्याश्चर्यं वृतान्तस्यानुपक्षय:।।

तर्कभाषा#केशवमिश्र#न्याय दर्शन के महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

संस्कृतसाहित्य के महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर


धन्यवाद



सोमवार, 1 फ़रवरी 2021

तर्कभाषा#षड्विध सन्निकर्ष#न्याय दर्शन

प्रश्न१ प्रत्यक्ष प्रमाण किसे कहते है?

"तत्र प्रत्यक्षज्ञानकरणं प्रत्यक्षम्" प्रत्यक्ष ज्ञान या प्रमा का जो असाधारण कारण है वह ही प्रत्यक्ष प्रमाण है।

प्रश्न२ अब प्रश्न उठता है कि प्रत्यक्ष प्रमा क्या है?

"इन्द्रियार्थ सन्निकर्षजन्यं ज्ञानं प्रत्यक्षम्" अपने विषय के साथ इन्द्रियों का सामीप्य संबंध होने पर उससे जो ज्ञान उत्पन्न होता है।वह प्रत्यक्ष कहलाता है।

प्रत्यक्ष प्रमा के दो भेद है-

निर्विकल्पक ज्ञान

सविकल्पक ज्ञान

प्रत्यक्ष ज्ञान(प्रमा) का कारण इन्द्रियार्थ सन्निकर्ष( इन्द्रियो का अपने विषयो से संयोग अर्थात समीपता) है।

प्रश्न३  इन्द्रियार्थ सन्निकर्ष कितने प्रकार का है?

इन्द्रियार्थ सन्निकर्ष के छः भेद है

1.संयोग सन्निकर्ष= जब इन्द्रिय का किसी वस्तु से संयोग होता है तो उसे संयोग सन्निकर्ष होता है।जैसे आँख द्वारा घडे़ को देखना

2.संयुक्त समवाय=जब आँख द्वारा घडे़ का ज्ञान होता है उसके पश्चात उसमे शुक्ल,रक्त,पीत जैसे रंग का भी ज्ञान होता है तो वहाँ संयुक्त समवाय होता है।

संयुक्त समवाय में वस्तु के गुणो का प्रत्यक्ष होता है।

3.संयुक्त समवेत समवाय- जब वस्तु  से संयोग होने पर उसकी जाति का बोध होता है तो वहाँ संयुक्त समवाय होता है। जैसै घडे़ में शुक्लत्व,लालत्व,पीतत्व का बोध होना।

4.समवाय =श्रोत्रेन्द्रिय(कान) से शब्द का ज्ञान 

5.समवेत समवाय=श्रोत्रेन्द्रिय(कान) से शब्द की जाति शब्दत्व का बोध होना

6.विशेषण-विशेष्य= किसी भूतल पर घडे़ का अभाव होना विशेषण-विशेष्य भाव सन्निकर्ष है। यहाँ" घडे़ का अभाव" विशेषण है  " भूतल "विशेष है।


निष्कर्ष= उक्त षड्विध(छः प्रकार)का सन्निकर्ष प्रत्यक्ष प्रमा के आधार है।

यथार्थ अनुभव और अयथार्थ अनुभव

तर्कभाषा #केशवमिश्र#तर्क भाषा के महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर