शुक्रवार, 27 सितंबर 2019

बाणभट्ट#हर्षचरित#कादम्बरी

Sanskrit sahitya important questions


हर्षचरित गद्यकाव्य की किस मे है आख्यायिका /
कथा ?  
आख्यायिका की श्रेणी में
 note आख्यायिका की कथावस्तु ऐतिहासिक होती है जबकि कथा की कथावस्तु कविकल्पित होती है 

बाणभट्ट द्वारा रचित कादंबरी और हर्षचरित में से कौन सी रचना पूर्व की मानी गई है? 
हर्ष चरित  
 Note क्योंकि कादंबरी कथा की शैली हर्षचरित से प्रौढा़ है 

बाणभट्ट की रीति किस प्रकार की है? 
पांचाली रीति 
वैदर्भी, पांचाली और गौडी तीन प्रकार की रीति मानी जाती है। 

बाणभट्ट का समय है? 
सातवी शताब्दी का पूर्वार्ध 

 प्रथम ऐतिहासिक गद्य काव्य लिखने वाले गद्यकार है?  
 बाणभट्ट
 जबकि सुबंधु प्रथम गद्यकार माने जाते हैं यदि प्रथम ऐतिहासिक गद्य काव्य पूछा जाता है तो उसके के रचनाकार बाणभट्ट है  

कादंबरी कथा में राजा शूद्रक, शुक  की कितने जन्मों की कथा कहीं गई है? 
 तीन जन्मो की  

"कादंबरी" की कथा में शूद्रक कहां के राजा थे  विदिशा के 

शूद्रक अपने पूर्व जन्म चंद्रापीड़ के रूप में कहां के राजा थे
 उज्जैनी के   

चंद्रपीड़ अपने पूर्व जन्म में किस रूप में थे 
चंद्रमा के रूप में   
 कादंबरी संस्कृत गद्य साहित्य
कादंबरी संस्कृत गद्य साहित्य

वैशम्पायन को शुक(तोता) बनने का बनने का श्राप किसने दिया था 
महाश्वेता ने ।

 महाश्वेता किस से प्रेम करती थी
Note पुंडरीक से 
यह पुंडरीक ही अगले जन्मों में क्रमशः वैशंपायन और शुक बना  

 पुंडरीक के पिता का नाम क्या था  
श्वेतकेतु    

पुण्डरीक के घनिष्ठ मित्र का नाम 
कपिञ्जल 

 चंद्रपीड़ के घोड़े का नाम क्या था?
 इंद्रायु
Note यह पूर्व जन्म में कपिञ्जल था  

बाणभट्ट द्वारा रचित हर्षचरित का प्रधान रस है ? वीररस  

हर्षवर्धन के पिता का नाम?
 प्रभाकर वर्धन  

चंद्रपीड की सेविका कौन थी? 
span style="font-size: x-large;">पत्रलेखा

पत्रलेखा  कादंबरी की सहचरी कौन थी
  मदलेखा 

महाश्वेता की सेविका का नाम? 
तरलिका।                                                    
नीचे दिए गए आर्टिकल्स पर क्लिक कर आप उसे पढ़ सकते हैं "शुकनासोपदेश "यह भी कादंबरी का एक महत्वपूर्ण अंश जो प्रतियोगी परीक्षाओं में अधिकतर पूछा जाता है

 "शुकनासोपदेश" कादंबरी का महत्वपूर्ण अंश 

धन्यवाद 

शुक्रवार, 20 सितंबर 2019

Motivation#golden word#success

Motivation

अगर बार बार किसी के रोकने पर भी आप वह करना चाहते है जो आपकोSelf satisfication से भर देता है जोआपकी खुशियो का राज हैतो रूकना मत क्योकि वह ईश्वर से मिलाअनमोल ताज है उस ताज को खोना नही क्योकि उसकी कीमत केवल आप जानते है उस ताज से आप अपनी नजरो मे एक शहंशाह से कम नही है।

अगर आपका विश्वास पक्का है तो, आज नही कल सही  मंजिल आपका स्वागत बडे सुन्दर ढंग से करेगी 
Success#motivation#golden word about success
Success#motivation
                 

 हमेशा रिजल्ट का मुहँ ताकते रहोगे या success की परवाह किये विना भी कुछ करोगे।
success की defination  क्या वही जिसे 90% से ज्यादा लोग मानते है वह नही जिसे 10%  लोग अपने कामसे proov कर चुके है आप भी success ki defination मे कुछ add करके देखो पहले से दुगुनी सफलता और खुशी चार गुनी होगी 
 
 Thank for visiting  sanskrit jeeva   

शूद्रक विरचित मृच्छकटिकम्#mrichchhakatikam#sanskrit sahitya  (Read also)

बुधवार, 18 सितंबर 2019

संस्कृत महाकाव्यो में से पूछे जाने वाले परीक्षोपयोगी प्रश्न# शिशुपाल वध महाकाव्य#महाकवि माघ की रचना कौन सी है?

 शिशुपालवध महाकाव्य के नायक ?
श्री कृष्ण

 शिशुपालवध महाकाव्य के प्रति नायक?
शिशुपाल

 शिशुपालमाघ का प्रिय छंद है ?
मालिनी

 शिशुपाल वध महाकाव्य का उपजीव्य काव्य है?
महाभारत का सभापर्व

महाभारत के सभापर्व के कितने अध्यायों मे शिशुपाल वध की कथा का वर्णन है?
अध्याय 33 से 45 तक

शिशुपाल वध के किस सर्ग में  श्री कृष्ण द्वारा इंद्रप्रस्थ प्रस्थान का वर्णन है?
 तृतीय (3) सर्ग मे

"शिशुपाल वध "महाकाव्य के किस सर्ग में रैवतक पर्वत का वर्णन है?
चौथे सर्ग में

"शिशुपाल वध "महाकाव्य के किस सर्ग में  षड ऋतुओ का वर्णन महाकवि माघ ने किया है?
छठे सर्ग में ।                                                               

"शिशुपाल वध" महाकाव्य के ग्यारहवे (11) सर्ग में क्या वर्णित है?
प्रभात वर्णन

कृष्ण का युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में पहुंचना तथा भीष्म द्वारा श्री कृष्ण स्तुति का वर्णन किस सर्ग में हुआ है ?

चौदहवे सर्ग में

 शिशुपाल द्वारा भेजे गए दूत के प्रश्नों का उत्तर कौन देता है
सात्यकि

 महाकवि माघ ने चित्रालंकारो का प्रयोग किस सर्ग मे किया है?
19वे सर्ग मे ।                                                           

 महाकवि माघ ने" शिशुपाल वध" महाकाव्य में प्रत्येक सर्ग के प्रारंभ और अंत में किस शब्द का प्रयोग किया है
श्री

"कृष्ण-  बलराम- उदव" संवाद महाकाव्य के किस सर्ग में है? द्वितीय(2) सर्ग मे

कुमारसंभव महाकाव्य की महत्वपूर्ण सूक्तियां #kumarsambhav mahakavya👈

उत्तररामचरितम् की प्रमुख सूक्तियां #भवभूति                   

श्री कृष्ण ने  युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में जाने के लिए किसकी सलाह मानी थी
उद्धव की।                                                                 

 सर्व: स्वार्थम् समीहते  (सभी अपना स्वार्थ देखते हैं ) यह कथन शिशुपाल वध के किस सर्ग में है
दूसरे सर्ग में

मल्लीनाथ ने शिशुपाल वध महाकाव्य पर कौन सी टीका लिखी?
सर्वड्कषा टीका

शिशुपाल वध महाकाव्य की रीति है?
 गौडी रीति ।                                 

 शिशुपाल वध का अंगीरस (प्रधानरस) कौनसा है?
वीररस । 

यमुना नदी का वर्णन किस सर्ग मे है?
12 वे सर्ग मे

शिशुपाल वध की कथा के अनुसार शिशुपाल प्रथम व द्वितीय जन्म में कौन था ?
 शिशुपाल प्रथम जन्म में हिरण्यकशिपु और द्वितीय जन्म में रावण था

शिशुपाल के अत्याचारों से त्रस्त देवताओं ने किसे दूत के रूप में श्री कृष्ण के पास भेजा था ?
नारद को।                                                                     
 "श्री कृष्ण नारद" संवाद किस सर्ग में है
प्रथम सर्ग में

शिशुपाल वध महाकाव्य के  प्रथम सर्ग में कौन सा छंद है ?वंशस्थ छंद 

माघ का समय है ?
675 ई (7वी शताब्दी का उतरार्द्ध)

 महाकवि माघ का निवास स्थान माना गया है?
जालौर जनपद का भीनमाल प्रदेश(राजस्थान)

महाकवि  मांघ किसके पूजक थे?
सूर्य के

 महाकवि माघ के पिता का नाम क्या था ?
दत्तक।               

महाकवि माघ की पितामह का नाम क्या था?
सुप्रभदेव।       

शिशुपाल वध महाकाव्य पर वल्लभदेव ने कौन सी टीका लिखी ? सन्देहविषौषधि टीका

शिशुपाल वध महाकाव्य पर भरत मलिक ने कौन सी टीका लिखी?
सुबोधा टीका

सोमवार, 9 सितंबर 2019

शूद्रक विरचित मृच्छकटिकम् #mrichchhakatikam#sanskrit sahitya

Mrichchhkatikam important points                            

 Mrichchhkatikam संस्कृत साहित्य में रूपको के अन्तर्गत प्रकरण विधा है।जिसके रचयिता शूद्रक है।इसके 10अंक है। जिसमे दरिद्र चारुदत्त और वसन्तसेना की प्रणय कथा वर्णित है।इस प्रकरण मे तत्कालीन सामाजिक,आर्थिक परिस्थितियो का वर्णन बहुत स्वाभाविक रूप मे हुआ है।  

                                           

Mrichchhkatikam से संबधित महत्त्वपूर्ण तथ्यों का वर्णन नीचे किया जा रहा है आप इनका अध्ययन अवश्य करे ताकि  संस्कृत की किसी भी प्रतियोगी परीक्षा मे पूछे जाने वाले प्रश्नो के सही उत्तर आसानी से दे सके।                                                                    

मृच्छकटिकम्  रुपको के 10 प्रकारों में प्रकरण माना जाता है।                                                    

 मृच्छकटिकम् का नायक चारुदत्त एक दरिद्र ब्राह्मण है और गणिका वसन्तसेना नायिका है।                                                                        दोनो का निवासस्थान उज्ज़यिनी है।                                                                                    चारुदत्त का मित्र और प्रकरण का विदूषक मैत्रय है और चारुदत्त की सेविका का नाम रदनिका है।                                                                    प्रतिनायक शकार है जो राजा पालक का साला है।  वह वसन्तसेना को पाना चाहता है जबकि वसन्तसेना उसे पसन्द नही करती है।                                                                                 चारुदत्त की पत्नी धूता है जो इस प्रकरण की कुलजा नायिका है।                                              वसन्तसेना प्रथम अंक मे अपने आभूषणो को चारुदत्त के घर मे छिपाती है

तीसरे अंक मे शर्विलक नामक चौर आभूषणो को चुरा लेता है न्यास के रूप मे रखे आभूषणो के चोरी होने से दुःखी चारुदत्त को देखकर धूता पत्नी अपने रत्नावली आभूषण को वसन्तसेना के लिए देती है जिसे वसन्तसेना अस्वीकार करती है।रोहसेन चारुदत्त का पुत्र है जो स्वर्ण से बनी शकिटा (गाडी)  के लिए जिद करता है तो वसन्तसेना उसे अपने आभूषण गाडी बनाने के लिए देती है।                                                                                                                                                 मृच्छकटिकम्(Mrichchhkatikam)प्रकरण#शूद्रक                                                                                      कुमारसंभव महाकाव्य#कालिदास का कुमारसंभव                                                             

 मदनिका शर्विलक की प्रमिका हैऔर वसन्तसेना की सेविका है जिसे दासत्व से मुक्त करने के लिए शर्विलक चारुदत के यहाँ चोरी करता है।                                                                                 धूतकर  संवाहक  चारुदत्त का पुराना सेवक है जो चारुदत्त के निर्धन होने पर जुआरी बन जाता है   जुए में हारने पर वसंतसेना अपने आभूषणों को देकर उसे ऋण से मुक्त कराती है।                                       यह संवाहक बाद में बौद्ध भिक्षु बन जाता है जो   शकार द्वारा गला धोटकर मूर्छित वसन्तसेना के प्राणों की रक्षा करता है।शकार  वसंतसेना को मरी हुई समझकर उसकी मृत्यु का आरोप चारुदत्त पर लगाता है।

 शर्विलक के मित्र का नाम आर्यक है। जिसेेेे राजा पालक बंदी बनाता है। लेकिन वह कैद से छूट जाता है    राजा पालक को हराकर स्वयं राजा बनता है ।

 चारुदत्त  को वसंतसेना की  मृत्यु के अपराध में मृत्युदंड  की सजा सुनाई जाती है तब संवाहक वसंतसेना को लेकर उसी स्थान पर पहुंचता है जहां चारुदत्त्त को फांसी दी जा रही थी अंत में चारुदत्त  निर्दोष साबित होता है और शकार को दोषी  माना जाता है राजा आर्यक शकार को दंड देते हैं। लेकिन चारुदत्त उसे क्षमा कर देता है।   प्रकरण का सखद अंत होता है चारुदत्त और वसंतसेना का मिलन होता है  वसंतसेना को वधू शब्द से सुशोभित किया जाता है 

याद रखे 
  मृच्छकटिकम् का अंगी प्रधान रस -श्रॄंगार रस ।                            
 श्लोको की संख्या -380 ।                                 
प्राकृत भाषा के सात प्रकारों का प्रयोग हुआ है।    

 संस्कृत बोलने वाले पात्रों की कुल संख्या-6

गुरुवार, 5 सितंबर 2019

Happy Teachers Day

 Happy Teachers Day 
कुछ लाइने अपने शिक्षको के लिए

मैं जहां में जिस मुकाम पर रहूँ एक बात
 हर पल दिलोजान से कहूँ.....                                                                                                                                   अगर नही होता आशीष तुम्हारा मेरे जीवन में।                          जीवन की धूुप छां बहुत सताती मुझे,                                     कैसे चल पाती मैं कांटो भरे वीरान पे
  धहक जाते मेरे सपने दुनिया की मतलबी आग में।                     बहक जाती मैं बेवजह की भागमभाग में

मै जहां मे जिस मुकाम पर रहूँ एक बात पूरे ईमान से कहू।

 तेरी हर सीख मेरे लिए दुआ बन गई।
   असल मे तेरे दिए हौसलो से अपनी कमियो से लड़ गई।
 तेरे ही शब्दों की ताकत मुझ में झलक गई।
   मेरे लिए तू शालीनता ,सहनशीलता और स्वाभिमान की
 जीती जागती बेमिसाल मूरत बन गई।
   मैं जहां में जिस मुकाम पर हूं 
तेरी खुशियों की प्रार्थना मेरे भगवान से करू।                                                                                                                                                                                                                                                
सभी शिक्षकों को मेरा सादर नमन👏👏👏👏                     



सोमवार, 2 सितंबर 2019

Golden quotes#सुविचार

नमस्कार आप सभी का स्वागत करती हूँ Sanskrit jeeva  पर जहाँ आपको संस्कृत विषय के साथ साथ कुछ Motivational dose भी मिलती है जो आपको Positivity se fulfil कर देगी मेरा  Motive आपकी Help करना है।                                                                                                              
आज की पोस्ट मे भी कुछ golden Words है जो  जिंदगी मे अभाव,  सपने,  हौसले आदि से संबंधित है                                                                                                                                                 
  मत डरिए जनाब अपनी जिंदगी के अभावो से क्यूकि कल जिनकी जिंदगी में अभाव बहुत थे आज जमाने मेउनका प्रभाव बहुत है।                             
golden quotes #सुविचार# अभाव
                                                    
   
सीख लीजिए है हुनर जिंदगी में रंग भरने का वरना कल भी गाते थे आज गा रहे और शायद कल भी गायेंगे मेरा जीवन कोरा कागज कोरा ही रह गया है।                 
golden quotes#सुविचार # Dream image
                   
 एक जगह रूक कर ठहर जाऊ मैं
 या सफर में चलता जाऊ मैं 
 जिंदगी नही मिलती बार बार । 
इसलिए जिदगी में बहुत कुछ कर गुजरना चाहूँ मैं।                                                                                                                                                 
धन्यवाद  फिर मिलेंगे कुछ अच्छे विचारो के साथ । जो हम सभी की Life Better कर सकने में मददगार हो ।                                                                          click here 
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