मंगलवार, 17 दिसंबर 2019

संस्कृत में कारक प्रकरण/Karak in sanskrit practice set 2 /sanskrit grammar

संस्कृत में कारक प्रकरण  karak in sanskrit)practice set 2 /sanskrit grammar

संस्कृत में कारक प्रकरण / संस्कृत व्याकरण
karak/कारक प्रकरण

1."क्तस्य च वर्तमाने" सूत्र से वाक्य मे कौनसी  विभक्ति प्रयुक्त होती है 
           षष्ठी विभक्ति।   
2.अहम् राज्ञ:पूजित: वाक्य मे क्त प्रत्यय का प्रयोग किस काल मे है?
 वर्तमान काल 
( क्तस्य च वर्तमाने  सूत्र से)
3.कृष्णस्य कृति: वाक्य मे किस सूत्र से षष्ठी विभक्ति प्रयुक्त हुई है
 कर्तॄ कर्मणोः कृति      
4."षष्ठी चानादरे" सूत्रानुसार अनादर या तिरस्कार करके कोई क्रिया की जाए तो उसमें कौन सी विभक्ति होती है?
 षष्ठी विभक्ति या सप्तमी विभक्ति                            
5.रुदति परिवारे वनं प्राव्राजीत्  में कौन सी विभक्ति है?                                                              
  सप्तमी और षष्ठी( षष्ठी चानादरे सूत्र से )
6."निमित्तात कर्मयोगे"  सूत्र से  फल प्राप्ति मे कौन सी विभक्ति प्रयुक्त होती है 
सप्तमी विभक्ति 
7."मातु: स्मरणम् "इस वाक्य में विधायक सूत्र कौनसा है।  
अधीगर्थदयेशां कर्मणि 
8.गुरु शिष्याय क्रुध्यति यहां सम्प्रदान संज्ञा कौन से सूत्र से होगी
 क्रुध्यद्रुहेर्ष्यासूयार्थानां यं प्रति कोप: सूत्र से
9."विप्राय गां ददाति " यहाँ सम्प्रदान संज्ञा किस सूत्र से है? "कर्मणा यमभिप्रैति स सम्प्रदान:

10. "बालक:पुष्पेभ्य: स्पृह्यति यहाँ पुष्पेभ्य मे सम्प्रदान संज्ञा किस सूत्र से होगी? 
स्पृहेरीप्सित: सूत्र से
11. क्रुध,द्रुह,ईर्ष्य,असूय आदि धातुओं के योग मे विभक्ति होगी? 
चतुर्थी विभक्ति
12." क्रुधद्रुहोरपसृष्टयो: कर्म" सूत्र से कौनसी संज्ञा का विधान है? 
कर्म संज्ञा 
13.ऊपर लिखित सूत्र के अनुसार  क्रुध्,द्रुह धातुओ से पहले यदि उपसर्ग होगा तो वाक्य में कौन सी विभक्ति लगेगी?
 दितीया


विशेष--
  पोस्ट से पहले भी कारक प्रकरण से संबंधित अभ्यासार्थ  जो प्रश्न कराए गए उन्हें नीचे दिए गए लिंक पर clickकरदेख सकते है 




धन्यवाद<

सोमवार, 25 नवंबर 2019

तर्कसंग्रह (Tarksangrah) के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर# तर्कसंग्रह के अनुसार पदार्थ के 24 गुण


तर्कसंग्रह (Tarksangrah) के महत्वपूर्ण प्रश्न -उत्तर #rpsc#net#set exams                                                    

   1.अतीतादि व्यवहार हेतु : ?  
काल:

2.ज्ञानाऽधिकरण .....?
आत्मा 

3.आत्मा के कितने भेद है?
 दो ,1.जीवात्मा2. परमात्मा ।

4.मन का लक्षण क्या है?
 सखाद्युपलब्धिसाधनमिन्द्रियं मनः (सुख और दुख की ज्ञान कराने वाली इंद्रिय मन है) 

 5.तर्कसंग्रह के अनुसार गुण पदार्थ के कितने भेद हैं? 
span style="font-size: large;"> 24   

6. " गुण "का वह भेद जिसका ज्ञान केवल चक्षु से होता है?
रूप



7."रूप " नामक गुण के कितने प्रकार होते हैं?
सात 
शुक्ल ,नील, पीत ,रक्त, हरित, कपीश, चित्र 

8. शुक्ल रूप के कितने भेद हैं?
 दो ,अभास्वर शुक्ल और भास्वर शुक्ल 
Note: रूप रूप की सत्ता पृथ्वी, जल, तेज में रहती है वायु में नहीं

9. रस के कितने भेद है?
 6 
 मधुर, अम्ल,लवण, कटु, कषाय, तिक्त 

10.एकत्वादिव्यवहारहेतु:...?
संख्या 
नोट: यह सभी नौ प्रकार के द्रव्यों में पाई जाती है 

11.मानवव्यवहाराऽसाधारण कारणं.....?
परिमाण

12. परत्व के कितने भेद है? 
दो पहला दिक्कॄत परत्व, दूसरा कालकृत परत्व  



13.द्रव्य के कितने भेद हैं 
दो  1. सांसिद्धकं  2. नैमितिकं

14.श्रोत्रग्राह्य गुण:....?
शब्द:

15. "शब्द "नामक गुण के कितने भेद हैं?
 दो 
1.ध्वन्यात्मक  2.वर्णनात्मक 
/> वह ध्वनि जो किसी धातु से बने पदार्थ पर चोट करने या रगड़से उत्पन्न होती है वह "ध्वन्यातमक" तथा कंठ से उचारित वर्णादि "वर्णात्मक "होती है। 

tarksngrah से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए आप** दर्शनशास्त्र **लेबल पर क्लिक कर उन्हें पढ़ सकते हैंं

रविवार, 24 नवंबर 2019

तर्कसंग्रह से महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर#वैशेषिक दर्शन

1. वैशेषिक दर्शन में कितने पदार्थ माने गए हैं
7
तर्कसंग्रह के अनुसार 7पदार्थ

/> तर्कसंग्रह केअनुसार नौ(9)द्रव्य और उसके गुण क्या है?

गुरुवार, 14 नवंबर 2019

Golden word#motivational word#courage

किस्मत के बंद दरवाजे को निहारना बंद कर चुके हूँ, अपने हौसले इस कदर बुलंद कर चुके है


Courage

नीचे लिंक पर क्लिक कर अन्य motivational articles पढ़ सकते है


गुरुवार, 7 नवंबर 2019

तर्कसंग्रह के अनुसार नौ(9)द्रव्य कौनसे है?-उनके गुण क्या है?

/>  नमस्कार आप सभी का स्वागत है Sanskrit jeeva पर आज हम  न्याय वैशेषिक दर्शन पर आधारित ग्रंथ तर्कसंग्रह से सम्बन्धित चर्चा कर रहे है
दोस्तो जैसा कि आप सभी को विदित है कि तर्कसंग्रह के रचनाकार अन्नमभट्ट है इसी ग्रंथ से सम्बन्धित कुछ पोस्टे पूर्व में लिखी जा चुकी है जिन्हे आपनीचे दिए जा रहे लिंक पर Click कर के पढ़ सकते हैं

तर्कसंग्रह -अन्नमभट्ट प्रणीत ग्रंथ/न्याय वैशेषिक दर्शन         
  न्याय वैशेषिक दर्शन में सात(7)  पदार्थ माने गए हैं। 1द्रव्य,2 गुण 3कर्म, 4 सामान्य, 5 विशेष, 6समवाय 7अभाव
 आइये हम  इस पोस्ट के अंदर नौ द्रव्यो के बारे में जान लेते है 
तर्कसंग्रह (न्याय वैशेषिक दर्शन) के अनुसार सात पदार्थ
तर्कसंग्रह (न्याय वैशेषिक दर्शन) के अनुसार सात पदार्थ


तर्कसंग्रह के अनुसार नौ द्रव्य और उनके लक्षण
(गुण)
पृथिवी-- गन्धवती पृथिवी तर्कसंग्रह के अनुसार नौ द्रव्यों में पृथिवी की गणना होती हैपृथिवी में गंध का गुण होता है। गंधत्व  पृथ्वी का सामान्य लक्षण है
 पृथ्वी के दो भेद होते हैं 1.नित्य पृथिवी 2.अनित्य पृथिवी
नित्य पृथिवी परमाणुरुप में होती है क्योंकि परमाणु का कभी विनाश नही होता है अनित्य पृथ्वी कार्यरूप है  क्योकि कार्य हमेशा नही रहता है।
अनित्य पृथ्वी के पुनः तीन भेद किए गए  ।
> 1शरीररूप,2 इंद्रिय रूप और 3विषय रूप 
हमारा शरीर  शरीर रूप पृथ्वी है इसी तरह नाक केअग्र भाग में रहने वाला घ्राणेन्द्रिय इन्द्रिय रूप पृथ्वी है और मिट्टी पत्थर आदि विषयरूप पृथ्वी है अर्थात अनित्य पृथ्वी शरीर ,इन्द्रिय और विषय के रूप में रहती है।

जल तर्कसंग्रह में जो नौ द्रव्य बताए गए हैं उनमें जल नामक पदार्थ की भी गणना की गई है।जिसमें "शीतलता स्पर्श "नामक गुण समवाय संबंध से रहता है वह जल है 
प्रथम तो जल के भी दो भेद किये गये हैं 1नित्य,2अनित्य 
अनित्य जल को पुनः तीन भागों में विभक्त किया गया है।1. शरीर रूप 2 इन्द्रिय  रूप 3 विषय रूप शरीर रूप में यह वरूण लोक में रहता है ऐसा पुराणो में वर्णित है।  जीभ के अग्रभाग में विद्यमान रसनेन्द्रिय इन्द्रिय के रूप में पाये जाने वाला जल का भेद  है ,नदी नाले समुद्र में रहने वाला जल विषय रूप है 

तेज(अग्नि)-तर्क संग्रह के अनुसार नौ द्रव्यो में तेज की गणना होती है इसका सामान्य लक्षण है "उष्णस्पर्शवत्तेज" जिसका स्पर्श उष्ण(गर्म) होता है। जैसे अग्नि,चन्द्र,सूर्य आदि क्योकि इनमे तेज समवाय सम्बन्ध से रहता है। यह नित्य और अनित्य दो प्रकार का है नित्य तेज परमाणुरूप और अनित्य तेज कार्यरूप होता है। यह भी अनित्य रूप में शरीर, इन्द्रिय,और विषय केभेद से पुन:तीन प्रकार का होता है।
तर्कसंग्रह के अनुसार तेज के लक्षण और भेद
विषयरूप तेज के चार प्रकार

span style="background-color: lime; font-size: large;">विषय रूप अग्नि के भी चार प्रकार बताए गए है।1भौम तेज2 दिव्य तेज3औदर्य तेज 4 आकरज तेज


वायु - रूप रहित,और स्पर्शवान होती है  इसका कोईरूप नही है,लेकिन इसे त्वचा इन्द्रिय से महसूस कर सकते है

 वायु के दो भेद है नित्य और अनित्य है।नित्य  वायु परमाणु रूप होती है  अनित्य वायु  

 अनित्य वायु के पुन:तीन भेद है शरीर रूप में वायु वरूणलोक में रहता है जैसा कि पुराणादि में वर्णित है  इंद्रिय रूप में हमारी चमडी (त्वचा) के रूप में,विषय रूप में आंधी तूफान चक्रवात तथा हमारे शरीर में रहने वाले प्राणवायु है  हमारे विभिन्न प्रकार की क्रिया को करने के कारण एवं विभिन्न स्थानों में रहने के कारण यह प्राणवायु पांच प्रकार की होती है प्राण, अपान, समान, उदान, व्यान


आकाश-तर्क संग्रह में बताए गए नौ द्रव्यों में आकाश भी सम्मिलित हैइसमें "शब्द गुण" समवाय संबंध से रहता हैआकाश एक और व्यापक है जबकि पृथ्वी आदि महाभूतों में अनेकत्व और अव्यापकत्व दिखाई देता है। आकाश नित्य है, अनित्य नहीं है

काल-  नौ द्रव्यो में छठवां तत्व काल हैंजो किसी वस्तु के अतीत,वर्तमान,भविष्य के ज्ञान  का कारण है  आकाश के सामान सर्वत्र रहने से एवं सभी पदार्थों में व्यवहार का कारण होने से व्यापक एवम् नित्य है।लौकिक व्यवहार में हम क्षण, घड़ी, दिन, रात, पक्ष ,मास, बर्ष आदि काल के अनेक भेदो का प्रयोग करते हैं परन्तु व्यवहार हेतु का एक मात्र आधार होने से कारण एक ही माना गया है,और नित्य हैं 

दिक्(दिशा)- प्राची, प्रतीची, वाची, उदीची आदि को जानने का जो एक मात्र कारण हैजिसके बिनाका प्राच्यादि का बोध नहीं हो सकता ऐसे असाधारण कारक को दिशा कहते हैं यह व्यापक और नित्य हैंदिशा आदि की जो दस भेद बताए जाते हैं वह केवल  औपाधिक  हैवस्तुत दिशा एक ही है एक होने के कारण वह व्यापक है।


   आत्मा- आत्मा भी नौ द्रव्यो में गिना जाने वाला एक द्रव्य है   जो ज्ञान का अधिकरण है अर्थात जो ज्ञान का आश्रय तत्व है,जिसमें चेतना विद्यमान हो वही आत्मा है न्याय शास्त्रियों के अनुसार आत्मा के दो भेद बताई गई है1 परमात्मा 2 जीवात्मा 
परमात्मा वह है जो सब कुछ जानता है  
 जीवात्मा - जीवात्मा भी परमात्मा का ही अंश है, जो सब कुछ नहीं जानता परंतु बहुत कुछ अवश्य जानता है प्रत्येक शरीर में विद्यमान होने से यह अनंत माना गया है जीवात्मा और प्राणी पर्यायवाची हैं।यह प्रत्येक शरीर में विद्यमान होने के कारण व्यापक हैऔर व्यापक होने के कारण नित्य भी हैं।

मन सुख और दु:ख की प्राप्ति का जो इन्द्रिय के रूप में साधन /माध्यम है।वह इन्द्रिय ही मन है। मन प्रत्येक शरीर में स्थित होने से अलग अलग अनन्त है वह परमाणुरूप और नित्य है।

शनिवार, 2 नवंबर 2019

तर्कसंग्रह के अनुसार कारण और उसके भेद#Tarksangrah- net/set/collage lecturer/first grade exams#rpsc sanskrit exams

तर्क संग्रह के अनुसार कारण और उसके भेद 
तर्क संग्रह के अनुसार कारण और उसके भेद/Tarksangrah-net/set/collage lecturer all sanskrit examsurer
तर्कसंग्रह के अनुसार कारण और उसके भेद

मंगलवार, 15 अक्टूबर 2019

my blogging journey/blogging journey of sanskrit jeeva

my blogging journey/blogging journey of sanskrit jeeva



my blogging journey/blogging journey of sanskrit jeeva
My blogging journey

.दोस्तों आप सभी के आशीर्वाद और साथ की वजह से आज मेरे कई आर्टिकल्स गूगल में फर्स्ट पेज पर रैंक कर रहे हैं मेरे लिए यह काफी बड़ी उपलब्धि है दोस्तों हर चीज की शुरुआत हम पैसे कमाने के लिए करें यह उचित नहीं self-satisfication भी अगर मिल रही है तो यह भी कामयाबी ही है जब आप काबिल बन जाएंगे तो पैसा तो खुद-ब-खुद आपके पास आएगा ही अगर पैसे की बात करें तो 1 वर्ष बीतने पर भी मैं अभी कुछ gain नहीं कर पाई हूं लेकिन पूरे धैर्य के साथ आगे बढ़ रही हूं

 my blog "sanskrit jeeva"

my blog" sanskrit jeeva"



/>  दोस्तों जो मैंने ऊपर Poins बताएंँ है वह मेरी ब्लॉगिंग Journey से सम्बन्धित है इनके आधार पर अगर मुझसे कोई पूछे कि आप ब्लॉगिंग में कितने कामयाब है, तो मेरा उत्तर होगा कि मैं अपने को नाकामयाब नहीं मान सकती मेरी काबिल बनने की कोशिश लगातार जारी है
3 Idiots movie ka dialogue hai काबिल बनने की कोशिश करो कामयाबी तो झक मार कर आपके पीछे आएगी
 
मेरे शब्दों मे ✏️

पकने से से पहले ही ही मीठा फल🍎 चखना चाहते हैं।

हम काबिल बनने से पहले कामयाब बनना चाहते है  
  

दोस्तों अपने माता-पिता के आशीर्वाद, ईश्वर की कृपा और आप सभी के प्रोत्साहन स्वरूप आगे बढ़ती रहूँ इन्हीं शब्दों के साथ आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद करती हूँ। 

गुरुवार, 3 अक्टूबर 2019

महर्षि वाल्मीकि की रामायण #ramayan questions #rpsc 1 grade & all sanskrit exams #रामायण में कितने कांड है?

चतुर्विंशति साहस्त्री संहिता रामायण ,शत साहस्त्री संहिता महाभारत है।
 रामायण मे सात कांड है, महाभारत मे 18पर्व है।
रामायण का सबसे बडा कांड युद्धकांड/लंकाकांड है। 128सर्ग
रामायण का सबसे छोटा कांड किष्किन्धा कांड है 67 सर्ग रामायण मे प्रधान/अंगीरस करुण रस, महाभारत मे प्रधान रस शान्त है।

  तुलसीदास रचित श्री रामचरितमानस का चित्र# ramcharitmanas image
तुलसीदास कृत रामायण


महाभारत की रीति पांचाली
महाभारत का स्वरूप:संस्कृत साहित्य को देन
 वेद और वैदिक साहित्य# संहिता, ब्रह्मण,आरण्यक,उपनिषद
श्रीमदभागवतगीता # Shrimad Bhagwat Geeta #श्रीमद्भागवत गीता में कितने अध्याय हैं?                         
Q महर्षि बाल्मीकि किस नदी के तट पर  स्नान करने जाते हैं?
 A.तमसा नदी के तट पर

Q पंचवटी किस नदी के तट पर स्थित है?
 Aगोदावरी नदी

Q लंका नगरी किस पर्वत पर स्थित थी?
A त्रिकूट पर्वत

Qराजा- सगर आख्यान रामायण के किस कांड में है?
A बालकांड में

Q राजा सगर के 60,000पुत्रों को किसने श्राप दिया था?
A कपिल मुनि ने

Q श्री राम और सुग्रीव की मित्रता का वर्णन किस कांड में है A.किष्किंधा कांड

राम और सुग्रीव की मित्रता किसने करवाई थी?
A. श्री हनुमान ने

Qश्री राम और हनुमान का मिलन किस पर्वत पर हुआ था? A.ऋषिमूक पर्वत

QRam aur Lakshman ko Bala atibala Vidya kisne pradan ki राम और लक्ष्मण को बला अतिबला विद्या किसने प्रदान की?
A.विश्वामित्र ने

Q.महर्षि बाल्मीकि का बाल्यकाल में नाम था ?
A.रत्नाकर

Qअहिल्या का उद्धार, राम द्वारा धनुष भंग, राम और सीता का विवाह ,परशुराम का क्रोध आदि का वर्णन किस कांड में हुआ है ?
A.बालकांड में

Q अहिल्या के पति का नाम?
A. ऋषि गौतम

Q समुद्र मंथन की कथा रामायण के किस कांड में है ?
A.बालकांड में

Q समुद्र मंथन से जो अश्व निकला उसका नाम था?
A. उच्चै:श्रवा

Q.महर्षि वशिष्ठ की पत्नी का नाम?
A.अरुंधति

Q.राजा जनक का मूल नाम क्या था?
A. शिरोध्वज

Q श्रीराम ने स्वयं का दूत बनाकर किसे लंका भेजा था?
A.अंगद को

Q. परशुराम के पिता का नाम था?
A. जमदग्नि

Q. महर्षि बाल्मीकि राम लक्ष्मण को किस प्रयोजन के लिए अपने साथ ले गए?
A. आश्रम की रक्षा के लिए

Q.बाली की पत्नी का नाम था?
A. तारा

Q.विश्वकर्मा के अवतार थे?
 A.नल नील

Q"राम और लक्ष्मण के शबरी के आश्रम मे जाने का वर्णन है " किस कांड में है?
A. अरण्यकांड मे

Q.शबरी के गुरु का नाम था?
 A.महर्षि मतंग

Q.जटायु -संपाती किसके पुत्र थे ?
A.अरुण के
Q. कौसल देश की राजधानी का नाम था?
A. अयोध्या Ram ka rajyabhishek Ram Bharat ka Milan
/> नल नील द्वारा समुद्र पर सेतु बंध , मेघनाथ, रावण का वध सीता की अग्नि परीक्षा, ब्रह्मा द्वारा राम की स्तुति,इन्द्र और दशरथ के उपदेश किस कांड में है
युद्ध कांड/लंकाकाण्ड में

बालकांड के समान अनेक इतिहास और पौराणिक आख्यानो का वर्णन किस कांड में है? Q.राम भरत का मिलन ,राम का राज्याभिषेक की घटनाएं रामायण के किस कांड में है?
A. लंका कांड
याद रखिए राम के राज्याभिषेक की तैयारी का प्रसंग अयोध्या कांड में है जबकि राम का राज्याभिषेक लंकाकांड में हुआ है 

Q.सीता संबंधित जन अपवाद, सीता परित्याग, लव कुश के जन्म ,लवणासुर का वध आदि घटनाओं का वर्णन किस कांड में है?A. उत्तरकांड में

Q. उत्तरकांड में सर्गो की संख्या है?
A. 111

Q.लवणासुर का वध किसने किया?
A.शत्रुघ्न ने
रामायण के कांड और उनमें सर्गो की संख्या/Ramayan questions रामायण के कांड और सर्गो की संख्या 

मंगलवार, 1 अक्टूबर 2019

रामायण महाकाव्य से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य # महर्षि वाल्मीकि की रामायण

 रामायण महाकाव्य से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य 

रामायण/ramayan
रामायण/ramayan



रामायण का समय 500ईसा पूर्व
 सगो की संख्या--645
कुल कांड --7,24000 श्लोक
रचयिता -महर्षि वाल्मीकि (आदि कवि की उपाधि)
रामायण महाकाव्य में मुख्य रस -- करुण रस
 रामायण में  सबसे अधिक बार प्रयुक्त छंद कौन सा है ?-अनुष्टुप छंद

Note आदि कवि महर्षि वाल्मीकि के मुख से सर्वप्रथम जो श्लोक निकला था वह अनुष्टुप छंद मे ही था

रामायण के सात कांडों के नाम तथा उनमे  सर्गो की संख्या

b>


जैसा की आप सभी जानते है कि रामायण में कुल 7कांड है जिनमें क्रमबद्ध रूप से रामायण की कथा को आगे बढ़ाया गया है।इन सभी कांडों का  इस महाकाव्य में बहुत ही महत्व है आइए हम रामायण के सभी कांडों में वर्णित महत्वपूर्ण  घटनाओं के बारे में  कुछ जानकारी प्राप्त कर लेते हैं

1.बालकांड (Bal Kand)--- यह रामायण का प्रथम कांड इसमें कुल77सर्ग है रामायण  के बालकांड में प्रारंभिक चार सर्गो में रामायण रचना की पूर्वपीठिका दी गई है जिसमें नारद महर्षि वाल्मीकि को राम का जीवन चरित बताते है इसके पश्चात  कौच युगल करुण क्रन्दन सुनकर को सुनकर  बाल्मीकि के हृदय में करुणा उत्पन्न होती है अत्यंत क्रोधित हो कर शिकारी को शाप देते हैं यह श्लोक करुण रस से भरा हुआ था इसके पश्चात ही बाल्मिकी राम कथा लिखने में संलग्न हुए।
  बालकांड में राजा दशरथ की नीति और उनका शासन , संपादित पुत्रेष्टि यज्ञ ,राम लक्ष्मण भरत और शत्रुघ्न का जन्म ,विश्वामित्र द्वारा राम लक्ष्मण को अपने साथ ले जाना, विश्वामित्र द्वारा दोनों भाइयों को अनेक विद्याओं  की शिक्षा देना, विश्वामित्र द्वारा सुनाई गई गंगा पार्वती के जन्म ,कार्तिकेय का जन्म वृतांत ,राजा सागर और उनके साथ हजार पुत्रों का जीवन ,भागीरथ का जीवन,  गंगा का पृथ्वी पर अवतरण, दीति और अदीति , समुद्र मंथन,गौतम अहिल्या, वशिष्ठ और विश्वामित्र का पारस्परिक संघर्ष, त्रिशंकु की महत्वाकांक्षा, राजा अम्बरीष, विश्वामित्रका तपोवन, सीता स्वयंवर के प्रसंग वर्णित है। 

अयोध्या कांड-अयोध्या कांड में एक 119सर्ग है इसमें राम के राज्याभिषेक की तैयारी, मंत्रा के बहकाने पर कैकेई द्वारा राजा दशरथ से  दो वर माँगना,  जिनमें राम के लिए 14 वर्ष का वनवास,और अपने पुत्र भरत का राज्याभिषेक,राम का लक्ष्मण और सीता सहित वन को गमन, दशरथ का राम के वियोग में प्राणत्याग देना ,भारत द्वारा राज्य को ठुकराना, अपने भाई राम को मनाने के लिए चित्रकूट  गमन, राम की अयोध्या आने के लिए अस्वीकृति भारत द्वारा राम की पादुकाओं को अयोध्या लाना , भरत का शपथ ग्रहण,राम भारत को राजधर्म का उपदेश देते है जाबालि का नास्तिक मत, राम द्वारा उसका खंडन,राम का चित्रकूट छोड़कर दंडकारण्य में प्रवेश का वर्णन इसी कांड में है 

अरण्यकांड --इसमें  75सर्ग है इसमें राम लक्ष्मण सीता का दण्डकारण्य में निवास करना,बिराध जैसे राक्षसों का वध करना, पंचवटी में प्रवेश, शूर्पनखा का आगमन , उसका राम लक्ष्मण से विवाह के लिए याचना ,लक्ष्मण द्वारा उसकी नाक काटना ,खरदूषण आदि  चौदह हजार राक्षसों का वधकरना ,रावण द्वारा सीता का हरण ,जटायु द्वारा सीता की रक्षा के लिए प्रयास करना, जटायु का रावण द्वारा वध ,  राम लक्ष्मण सीता की खोज करते है ,  राम की कबंध राक्षस से भेंट ,शबरी प्रसंग ,शबरी द्वारा सुग्रीव सेेे मित्रता का  परामर्श देना ,पंपा सरोवर के दर्शन आदि घटनाएं यहाँ वर्णित है। 

b>किष्किंधा कांड --इसमेंं 67सर्ग है इस कांड की प्रमुख घटनाएं है --हनुमान द्वारा राम और सुग्रीव की मित्रता कराना, राम द्वारा  सुग्रीव के भाई बाली का वध करना ,सुग्रीव और अंगद का राज्याभिषेक ,सुग्रीव का राम को सीता माता की खोज के लिए वचन देना, राम का प्रस्त्रवणगिरी पर 4 माह तक  जीवन यापन,  सुग्रीव द्वारा वानर सेना को सीता माता की खोज करने का आदेश, हनुमान की  संपाति से भेंट, संपाति द्वारा सीता केेेे रावण की अशोक वाटिका में होने की सूचना , जामवंत  हनुमान को उनकी स्वयं की शक्ति को जगाने के लिए उद्बोधन करते हैं। 

सुंदरकांड -- इसमें68 सर्ग है हनुमान का लंका में अशोक वाटिका में पहुंचना सीता मां के दर्शन करना सीता मां को श्रीराम की अंगूठी देना, श्रीराम का संदेश सुनाना अशोक वाटिका का हनुमान द्वारा उजाड़ना, लंकापति रावण के आदेश पर हनुमान की पूंछ में आग लगाना ,हनुमान का समुद्र में पहुँचकर  आग बुझाना  पुन: सीता का संदेश लेकर  अपने स्वामी श्री राम तक पहुंचने का वर्णन है

युद्ध कांड या लंका कांड रामायण के 7 कांडों में यह का सबसे बड़ा है इसमें  128 सर्ग है।इस कांड के अंतर्गत राम रावण के युद्ध का वर्णन है राम रावन को मारकर किस प्रकारअयोध्या आते हैं ,का वर्णन  है  विभीषण का राज्यभिषेक, सीता की अग्नि परीक्षा, ब्रह्मा द्वारा भगवान राम की स्तुति, दशरथ और इन्द्र के उपदेश ,भारद्वाज आश्रम से हनुमान को भारत के पास अयोध्याआगमन की सूचनार्थ भेजना, रामभरत का मिलन, राम का राज्याभिषेक राम द्वारा प्रजा पालन आदि के वृतांत इसमें है
उत्तर कांड इसमें कुल एक सौ ग्यारह सर्ग है कुछ विद्वान इस काण्ड को प्रक्षिप्त मानते हैइस कांड में भी बाल कांड के समान अनेक इतिहास और पौराणिक  आख्यानो कीभरमार हैसीता का जनअपवाद, सीता का परित्याग राजा नृग उर्वशी,ययाति महर्षि वशिष्ठ के आख्यान , शत्रुघ्न द्वारा लवणासुर का वध, लव कुश का जन्म, राम का अश्वमेध यज्ञ करना लव कुश का रामायण,सीता का पृथ्वी में समाना कौशल्या आदि माताओ  का परलोक गमन , लव कुश का राज्य अभिषेक महत्व स्थान श्री राम महाप्रस्थान जैसे सभी वृतांत यहाँ वर्णित है।  

Nishkarsh इस प्रकार समग्र रूप में देखा जाए तो रामायण में कुल 645 सर्ग है और 24000 Shlok है बालकांड के प्रारंभ में 500 सर्गो उल्लेख है अत:145 सर्ग प्रक्षप्तांश प्रतीत होते है।


रामायण महाकाव्य केकथानक को आधार बनाकर रची गई रचनाए   

b>भास प्रणीत अभिषेक नाटक, प्रतिमा नाटक 
मुरारी प्रणीत  अनर्घराघव महाकाव्य  
जयदेव प्रणीत प्रसन्न राघवम्
 भवभूति प्रणीत उत्तररामचरितम् महावीरचरितम् नाटक  
कालिदास प्रणीत रघुवंशम् महाकाव्य  
 कुमार दास प्रणीत जानकी हरण महाकाव्य

 रामायण और महाभारत दोनों आर्ष महाकाव्य माने जाते हैं

शुक्रवार, 27 सितंबर 2019

बाणभट्ट#हर्षचरित#कादम्बरी

Sanskrit sahitya important questions


हर्षचरित गद्यकाव्य की किस मे है आख्यायिका /
कथा ?  
आख्यायिका की श्रेणी में
 note आख्यायिका की कथावस्तु ऐतिहासिक होती है जबकि कथा की कथावस्तु कविकल्पित होती है 

बाणभट्ट द्वारा रचित कादंबरी और हर्षचरित में से कौन सी रचना पूर्व की मानी गई है? 
हर्ष चरित  
 Note क्योंकि कादंबरी कथा की शैली हर्षचरित से प्रौढा़ है 

बाणभट्ट की रीति किस प्रकार की है? 
पांचाली रीति 
वैदर्भी, पांचाली और गौडी तीन प्रकार की रीति मानी जाती है। 

बाणभट्ट का समय है? 
सातवी शताब्दी का पूर्वार्ध 

 प्रथम ऐतिहासिक गद्य काव्य लिखने वाले गद्यकार है?  
 बाणभट्ट
 जबकि सुबंधु प्रथम गद्यकार माने जाते हैं यदि प्रथम ऐतिहासिक गद्य काव्य पूछा जाता है तो उसके के रचनाकार बाणभट्ट है  

कादंबरी कथा में राजा शूद्रक, शुक  की कितने जन्मों की कथा कहीं गई है? 
 तीन जन्मो की  

"कादंबरी" की कथा में शूद्रक कहां के राजा थे  विदिशा के 

शूद्रक अपने पूर्व जन्म चंद्रापीड़ के रूप में कहां के राजा थे
 उज्जैनी के   

चंद्रपीड़ अपने पूर्व जन्म में किस रूप में थे 
चंद्रमा के रूप में   
 कादंबरी संस्कृत गद्य साहित्य
कादंबरी संस्कृत गद्य साहित्य

वैशम्पायन को शुक(तोता) बनने का बनने का श्राप किसने दिया था 
महाश्वेता ने ।

 महाश्वेता किस से प्रेम करती थी
Note पुंडरीक से 
यह पुंडरीक ही अगले जन्मों में क्रमशः वैशंपायन और शुक बना  

 पुंडरीक के पिता का नाम क्या था  
श्वेतकेतु    

पुण्डरीक के घनिष्ठ मित्र का नाम 
कपिञ्जल 

 चंद्रपीड़ के घोड़े का नाम क्या था?
 इंद्रायु
Note यह पूर्व जन्म में कपिञ्जल था  

बाणभट्ट द्वारा रचित हर्षचरित का प्रधान रस है ? वीररस  

हर्षवर्धन के पिता का नाम?
 प्रभाकर वर्धन  

चंद्रपीड की सेविका कौन थी? 
span style="font-size: x-large;">पत्रलेखा

पत्रलेखा  कादंबरी की सहचरी कौन थी
  मदलेखा 

महाश्वेता की सेविका का नाम? 
तरलिका।                                                    
नीचे दिए गए आर्टिकल्स पर क्लिक कर आप उसे पढ़ सकते हैं "शुकनासोपदेश "यह भी कादंबरी का एक महत्वपूर्ण अंश जो प्रतियोगी परीक्षाओं में अधिकतर पूछा जाता है

 "शुकनासोपदेश" कादंबरी का महत्वपूर्ण अंश 

धन्यवाद 

शुक्रवार, 20 सितंबर 2019

Motivation#golden word#success

Motivation

अगर बार बार किसी के रोकने पर भी आप वह करना चाहते है जो आपकोSelf satisfication से भर देता है जोआपकी खुशियो का राज हैतो रूकना मत क्योकि वह ईश्वर से मिलाअनमोल ताज है उस ताज को खोना नही क्योकि उसकी कीमत केवल आप जानते है उस ताज से आप अपनी नजरो मे एक शहंशाह से कम नही है।

अगर आपका विश्वास पक्का है तो, आज नही कल सही  मंजिल आपका स्वागत बडे सुन्दर ढंग से करेगी 
Success#motivation#golden word about success
Success#motivation
                 

 हमेशा रिजल्ट का मुहँ ताकते रहोगे या success की परवाह किये विना भी कुछ करोगे।
success की defination  क्या वही जिसे 90% से ज्यादा लोग मानते है वह नही जिसे 10%  लोग अपने कामसे proov कर चुके है आप भी success ki defination मे कुछ add करके देखो पहले से दुगुनी सफलता और खुशी चार गुनी होगी 
 
 Thank for visiting  sanskrit jeeva   

शूद्रक विरचित मृच्छकटिकम्#mrichchhakatikam#sanskrit sahitya  (Read also)

बुधवार, 18 सितंबर 2019

संस्कृत महाकाव्यो में से पूछे जाने वाले परीक्षोपयोगी प्रश्न# शिशुपाल वध महाकाव्य#महाकवि माघ की रचना कौन सी है?

 शिशुपालवध महाकाव्य के नायक ?
श्री कृष्ण

 शिशुपालवध महाकाव्य के प्रति नायक?
शिशुपाल

 शिशुपालमाघ का प्रिय छंद है ?
मालिनी

 शिशुपाल वध महाकाव्य का उपजीव्य काव्य है?
महाभारत का सभापर्व

महाभारत के सभापर्व के कितने अध्यायों मे शिशुपाल वध की कथा का वर्णन है?
अध्याय 33 से 45 तक

शिशुपाल वध के किस सर्ग में  श्री कृष्ण द्वारा इंद्रप्रस्थ प्रस्थान का वर्णन है?
 तृतीय (3) सर्ग मे

"शिशुपाल वध "महाकाव्य के किस सर्ग में रैवतक पर्वत का वर्णन है?
चौथे सर्ग में

"शिशुपाल वध "महाकाव्य के किस सर्ग में  षड ऋतुओ का वर्णन महाकवि माघ ने किया है?
छठे सर्ग में ।                                                               

"शिशुपाल वध" महाकाव्य के ग्यारहवे (11) सर्ग में क्या वर्णित है?
प्रभात वर्णन

कृष्ण का युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में पहुंचना तथा भीष्म द्वारा श्री कृष्ण स्तुति का वर्णन किस सर्ग में हुआ है ?

चौदहवे सर्ग में

 शिशुपाल द्वारा भेजे गए दूत के प्रश्नों का उत्तर कौन देता है
सात्यकि

 महाकवि माघ ने चित्रालंकारो का प्रयोग किस सर्ग मे किया है?
19वे सर्ग मे ।                                                           

 महाकवि माघ ने" शिशुपाल वध" महाकाव्य में प्रत्येक सर्ग के प्रारंभ और अंत में किस शब्द का प्रयोग किया है
श्री

"कृष्ण-  बलराम- उदव" संवाद महाकाव्य के किस सर्ग में है? द्वितीय(2) सर्ग मे

कुमारसंभव महाकाव्य की महत्वपूर्ण सूक्तियां #kumarsambhav mahakavya👈

उत्तररामचरितम् की प्रमुख सूक्तियां #भवभूति                   

श्री कृष्ण ने  युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में जाने के लिए किसकी सलाह मानी थी
उद्धव की।                                                                 

 सर्व: स्वार्थम् समीहते  (सभी अपना स्वार्थ देखते हैं ) यह कथन शिशुपाल वध के किस सर्ग में है
दूसरे सर्ग में

मल्लीनाथ ने शिशुपाल वध महाकाव्य पर कौन सी टीका लिखी?
सर्वड्कषा टीका

शिशुपाल वध महाकाव्य की रीति है?
 गौडी रीति ।                                 

 शिशुपाल वध का अंगीरस (प्रधानरस) कौनसा है?
वीररस । 

यमुना नदी का वर्णन किस सर्ग मे है?
12 वे सर्ग मे

शिशुपाल वध की कथा के अनुसार शिशुपाल प्रथम व द्वितीय जन्म में कौन था ?
 शिशुपाल प्रथम जन्म में हिरण्यकशिपु और द्वितीय जन्म में रावण था

शिशुपाल के अत्याचारों से त्रस्त देवताओं ने किसे दूत के रूप में श्री कृष्ण के पास भेजा था ?
नारद को।                                                                     
 "श्री कृष्ण नारद" संवाद किस सर्ग में है
प्रथम सर्ग में

शिशुपाल वध महाकाव्य के  प्रथम सर्ग में कौन सा छंद है ?वंशस्थ छंद 

माघ का समय है ?
675 ई (7वी शताब्दी का उतरार्द्ध)

 महाकवि माघ का निवास स्थान माना गया है?
जालौर जनपद का भीनमाल प्रदेश(राजस्थान)

महाकवि  मांघ किसके पूजक थे?
सूर्य के

 महाकवि माघ के पिता का नाम क्या था ?
दत्तक।               

महाकवि माघ की पितामह का नाम क्या था?
सुप्रभदेव।       

शिशुपाल वध महाकाव्य पर वल्लभदेव ने कौन सी टीका लिखी ? सन्देहविषौषधि टीका

शिशुपाल वध महाकाव्य पर भरत मलिक ने कौन सी टीका लिखी?
सुबोधा टीका

सोमवार, 9 सितंबर 2019

शूद्रक विरचित मृच्छकटिकम् #mrichchhakatikam#sanskrit sahitya

Mrichchhkatikam important points                            

 Mrichchhkatikam संस्कृत साहित्य में रूपको के अन्तर्गत प्रकरण विधा है।जिसके रचयिता शूद्रक है।इसके 10अंक है। जिसमे दरिद्र चारुदत्त और वसन्तसेना की प्रणय कथा वर्णित है।इस प्रकरण मे तत्कालीन सामाजिक,आर्थिक परिस्थितियो का वर्णन बहुत स्वाभाविक रूप मे हुआ है।  

                                           

Mrichchhkatikam से संबधित महत्त्वपूर्ण तथ्यों का वर्णन नीचे किया जा रहा है आप इनका अध्ययन अवश्य करे ताकि  संस्कृत की किसी भी प्रतियोगी परीक्षा मे पूछे जाने वाले प्रश्नो के सही उत्तर आसानी से दे सके।                                                                    

मृच्छकटिकम्  रुपको के 10 प्रकारों में प्रकरण माना जाता है।                                                    

 मृच्छकटिकम् का नायक चारुदत्त एक दरिद्र ब्राह्मण है और गणिका वसन्तसेना नायिका है।                                                                        दोनो का निवासस्थान उज्ज़यिनी है।                                                                                    चारुदत्त का मित्र और प्रकरण का विदूषक मैत्रय है और चारुदत्त की सेविका का नाम रदनिका है।                                                                    प्रतिनायक शकार है जो राजा पालक का साला है।  वह वसन्तसेना को पाना चाहता है जबकि वसन्तसेना उसे पसन्द नही करती है।                                                                                 चारुदत्त की पत्नी धूता है जो इस प्रकरण की कुलजा नायिका है।                                              वसन्तसेना प्रथम अंक मे अपने आभूषणो को चारुदत्त के घर मे छिपाती है

तीसरे अंक मे शर्विलक नामक चौर आभूषणो को चुरा लेता है न्यास के रूप मे रखे आभूषणो के चोरी होने से दुःखी चारुदत्त को देखकर धूता पत्नी अपने रत्नावली आभूषण को वसन्तसेना के लिए देती है जिसे वसन्तसेना अस्वीकार करती है।रोहसेन चारुदत्त का पुत्र है जो स्वर्ण से बनी शकिटा (गाडी)  के लिए जिद करता है तो वसन्तसेना उसे अपने आभूषण गाडी बनाने के लिए देती है।                                                                                                                                                 मृच्छकटिकम्(Mrichchhkatikam)प्रकरण#शूद्रक                                                                                      कुमारसंभव महाकाव्य#कालिदास का कुमारसंभव                                                             

 मदनिका शर्विलक की प्रमिका हैऔर वसन्तसेना की सेविका है जिसे दासत्व से मुक्त करने के लिए शर्विलक चारुदत के यहाँ चोरी करता है।                                                                                 धूतकर  संवाहक  चारुदत्त का पुराना सेवक है जो चारुदत्त के निर्धन होने पर जुआरी बन जाता है   जुए में हारने पर वसंतसेना अपने आभूषणों को देकर उसे ऋण से मुक्त कराती है।                                       यह संवाहक बाद में बौद्ध भिक्षु बन जाता है जो   शकार द्वारा गला धोटकर मूर्छित वसन्तसेना के प्राणों की रक्षा करता है।शकार  वसंतसेना को मरी हुई समझकर उसकी मृत्यु का आरोप चारुदत्त पर लगाता है।

 शर्विलक के मित्र का नाम आर्यक है। जिसेेेे राजा पालक बंदी बनाता है। लेकिन वह कैद से छूट जाता है    राजा पालक को हराकर स्वयं राजा बनता है ।

 चारुदत्त  को वसंतसेना की  मृत्यु के अपराध में मृत्युदंड  की सजा सुनाई जाती है तब संवाहक वसंतसेना को लेकर उसी स्थान पर पहुंचता है जहां चारुदत्त्त को फांसी दी जा रही थी अंत में चारुदत्त  निर्दोष साबित होता है और शकार को दोषी  माना जाता है राजा आर्यक शकार को दंड देते हैं। लेकिन चारुदत्त उसे क्षमा कर देता है।   प्रकरण का सखद अंत होता है चारुदत्त और वसंतसेना का मिलन होता है  वसंतसेना को वधू शब्द से सुशोभित किया जाता है 

याद रखे 
  मृच्छकटिकम् का अंगी प्रधान रस -श्रॄंगार रस ।                            
 श्लोको की संख्या -380 ।                                 
प्राकृत भाषा के सात प्रकारों का प्रयोग हुआ है।    

 संस्कृत बोलने वाले पात्रों की कुल संख्या-6

गुरुवार, 5 सितंबर 2019

Happy Teachers Day

 Happy Teachers Day 
कुछ लाइने अपने शिक्षको के लिए

मैं जहां में जिस मुकाम पर रहूँ एक बात
 हर पल दिलोजान से कहूँ.....                                                                                                                                   अगर नही होता आशीष तुम्हारा मेरे जीवन में।                          जीवन की धूुप छां बहुत सताती मुझे,                                     कैसे चल पाती मैं कांटो भरे वीरान पे
  धहक जाते मेरे सपने दुनिया की मतलबी आग में।                     बहक जाती मैं बेवजह की भागमभाग में

मै जहां मे जिस मुकाम पर रहूँ एक बात पूरे ईमान से कहू।

 तेरी हर सीख मेरे लिए दुआ बन गई।
   असल मे तेरे दिए हौसलो से अपनी कमियो से लड़ गई।
 तेरे ही शब्दों की ताकत मुझ में झलक गई।
   मेरे लिए तू शालीनता ,सहनशीलता और स्वाभिमान की
 जीती जागती बेमिसाल मूरत बन गई।
   मैं जहां में जिस मुकाम पर हूं 
तेरी खुशियों की प्रार्थना मेरे भगवान से करू।                                                                                                                                                                                                                                                
सभी शिक्षकों को मेरा सादर नमन👏👏👏👏                     



सोमवार, 2 सितंबर 2019

Golden quotes#सुविचार

नमस्कार आप सभी का स्वागत करती हूँ Sanskrit jeeva  पर जहाँ आपको संस्कृत विषय के साथ साथ कुछ Motivational dose भी मिलती है जो आपको Positivity se fulfil कर देगी मेरा  Motive आपकी Help करना है।                                                                                                              
आज की पोस्ट मे भी कुछ golden Words है जो  जिंदगी मे अभाव,  सपने,  हौसले आदि से संबंधित है                                                                                                                                                 
  मत डरिए जनाब अपनी जिंदगी के अभावो से क्यूकि कल जिनकी जिंदगी में अभाव बहुत थे आज जमाने मेउनका प्रभाव बहुत है।                             
golden quotes #सुविचार# अभाव
                                                    
   
सीख लीजिए है हुनर जिंदगी में रंग भरने का वरना कल भी गाते थे आज गा रहे और शायद कल भी गायेंगे मेरा जीवन कोरा कागज कोरा ही रह गया है।                 
golden quotes#सुविचार # Dream image
                   
 एक जगह रूक कर ठहर जाऊ मैं
 या सफर में चलता जाऊ मैं 
 जिंदगी नही मिलती बार बार । 
इसलिए जिदगी में बहुत कुछ कर गुजरना चाहूँ मैं।                                                                                                                                                 
धन्यवाद  फिर मिलेंगे कुछ अच्छे विचारो के साथ । जो हम सभी की Life Better कर सकने में मददगार हो ।                                                                          click here 
👉 Motivational words about future#success.                                              👉  Motivationallines  👉समय#motivational thoughts