रविवार, 29 मार्च 2020

कोरोना रूपी राक्षस से रण #कोरोना पर कविता #corona#lockdown

कविता का शीर्षक-"नही छोडेंगे इस रणको बीच मेंअधूरा
 
नहीं छोड़ेंगे इस रण को बीच मे अधूरा
 सब मिलकर जीत लेंगे इसे पूरा।
 यहाँ न किसी धर्म,जाति,संप्रदाय,
 अमीर,गरीबी का कवच काम नहीं आएगा
 यह रण तो हमारी एकता की मिसाल बन जाएगा ।
नहीं छोड़ेंगे इस रण को बीच में अधूरा 
सब मिलकर जीत लेंगे इसे पूरा। 
 यहां काम नहीं आएगी कोई राजनीतिक घृणा
 यह रण तो राजनीति के दलदल से दूर ले जाएगा।
नहीं छोड़ेंगे इस रण को बीच में अधूरा
 सब मिलकर जीत लेंगे इसे पूरा । 
 यहां काम नहीं आएगी आरोप-प्रत्यारोपो की झड़ी 
 यह रण तो भाईचारे और परोपकार से जीता जाएगा।
 नहीं छोड़ेंगे इस रण को बीच में अधूरा 
 सब मिलकर जीत लेंगे इसे पूरा 
 न हीं चलेगी यहां तलवारे,न ही धनुष बाण चलेंगे 
 न ही गिरने देंगे लहू की एक बूंद इस धरा पर
 यह रण तो इंसानियत की कसौटी पर लड़ा जाएगा। 
नहीं छोड़ेंगे इस रण को बीच में अधूरा 
 सब मिलकर जीत लेंगे इसे पूरा ।
 न हीं कर पाएगा अपनों को अपनों से दूर 
यह रण तो अपनेपन की पहचान कराएगा। 
 माना इतिहास में हुए थे रण अनेकों 
लेकिन यह रण सबसे अलग है देखो । 
यहाँ मानवता की जीत है, 
एक दूसरे से सच्ची प्रीत है
 भारतीयता की सुरीत है, 
जहां गा रहा हर कोई जागृति का गीत है।

 उम्मीद करती हूँ कोरोना रूपी राक्षस पर विजय की 
यह कविता आपको पसंद आएगी
 हमे पूर्ण विश्वास है हम इस भयावह परिस्थिति से जल्दी ही बाहर निकलेंगे 
बस तक हमे धैर्य के साथ २१दिन के 
लाँकडाउन के व्रत को पूरा करना है 
बहुत जल्द परिस्थितियाँ हमारे अनुकूल होंगी।
 माँ हमारे सारे कष्टो का पूर्णत दमन करेंगी।

शनिवार, 28 मार्च 2020

सुविचार#शब्दो की ताकत#golden lines in hindi#motivation

दोस्तों में कोई दार्शनिक नहीं हूँ न ही कोई कवि और न ही महान लेखक हूं बस अपने दिल में उठ रही भावनाओं को कलम के माध्यम से कागज पर कभी कभार उतार देती हूं मुझे अपने अनुभवों को साझा करने में संतुष्टि का अहसास होता है यही मेरे लिए बहुत है।


१.अगर भावो की गहराई समझ मे आ रही हो तो शब्दो कोष का गहरा होना  आवश्यक नही

२.आपका एक एक अक्षर दिव्य हो जाता है यदि वह किसी के अंदर छाए तिमिर की परतो को खोलकर उसके सच्चे स्वभाव को सामने लाने में मदद करता है। 

३आपके शब्दों को किसी के लिए वेदना नही, प्रेरणा बनाइए 

४आपकी शब्दों में छुपे हुए भावनाओं की की कीमत ही है कि किसी के शब्द दवा बन जाते हैं क्यों किसी के शब्द केवल हवा बन जाते हैं। 

दोस्तों यदि आपको ये विचार अच्छे लगे हो तो लाइक करें और अपने दोस्तों को शेयर करें।

धन्यवाद

मंगलवार, 17 मार्च 2020

Net#set#jrf sanskrit exam#charvak darshan#चार्वाक दर्शन

लोकायत दर्शन#चार्वाक दर्शन#बार्हस्पति  दर्शन से सम्बन्धित तथ्य
चार्वाक दर्शन के संस्थापक बृहस्पति माने जाते हैं इसलिए इसे बार्हस्पति दर्शन भी कहते है।

इसी का प्राचीन नाम लोकायत दर्शन है।

चार्वाक दर्शन सुख को ही जीवन का परम उद्देश्य मानता है।

 यह भौतिकता वादी दर्शन है जो वेदों की निंदा करता है।

यह अग्निहोत्र और श्राद्ध का निषेध करता है

चार्वाक दर्शन की दृष्टि में प्रत्यक्ष ही एकमात्र प्रमाण है।

चार्वाक दर्शन  ईश्वर और आत्मा का निषेध मानता है।

चार्वाक दर्शन काम को ही एकमात्र पुरुषार्थ मानता है

 चार्वाक दर्शन की दृष्टि में मृत्यु ही मोक्ष है।

चार्वाक दर्शन चार तत्वों को मानता है।👉 पृथ्वी जल तेज वायु

यह आकाश को तत्व नहीं मानता है।

चार्वाक दर्शन के सिद्धान्त
 प्रत्यक्ष प्रमाणवाद- चार्वाक दर्शन प्रत्यक्ष दिखाई देने वाली वस्तुओं को ही अंतिम सत्य मानता है यह अनुमान शब्द आदि प्रमाणो को नहीं मानता है।

 भौतिकतावा   - यह सांसारिक वस्तुओं को अत्यधिक महत्व देता है

भूत चैतन्य वाद  - पृथ्वी जल तेज वायु  इन 4 महा भूतों के सहयोग से ही शरीर में चेतनता उत्पन्न होती है यह कोई अलौकिक वस्तु नहीं है


ऐहिकसुखवाद- चार्वाक दर्शन  पृथ्वीलोक के सुख को ही महत्व देता है इसके अनुसार जो कुछ है वह इसी  पृथ्वी पर है इसलिए व्यक्ति को जब तक जीवित है  सुख पूर्वक रहना चाहिए इस संबंध में कहा भी गया है जब तक जियो सुख पूर्वक जियो   चाहे इसके लिए  किसी व्यक्ति से ऋण भी लेना पड़े तो संकोच नहीं करना चाहिए क्योंकि यह मानव जीवन फिर हमें नहीं मिलेगा। इसलिए जब तक रहो सुख पूर्वक रहो 

यावजीवेत् सुखम् जीवेत् ऋणम् कृत्वा घृतं पिबेद्
विशेष -
चार्वाक दर्शन,जैन दर्शन,बौद्धदर्शन ये तीनों नास्तिक दर्शन माने जाते हैं।

 चार्वाक दर्शन अवैदिक दर्शन में प्राचीनतम दर्शन है।

 यदि आप सभी को यह पोस्ट ज्ञानवर्धक लगे तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूले ताकि उन्हे भी परीक्षा की तैयारी में मदद मिले


शनिवार, 14 मार्च 2020

net #set#jrf exam sanskrit#sanskrit exam


Important questions for net#set#jrf exam sanskrit#sanskrit exam
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1⃣मनुस्मृति के अनुसार क्रोध से उत्पन्न होने वाले  दोषो  की संख्या कितनी है?
 ✔️ 8

✏️दूसरों की चुगली करना, दुस्साहस करना, द्रोह करना, ईर्ष्या करना,  दूसरों के गुणों में दोष निकालना दूसरे के धन का अपहरण करना, वाणी में कठोरता लाना, निरपराधी को मारना     
2⃣ मनुस्मृति के अनुसार काम से उत्पन्न होने वाले दोषों की संख्या कितनी है?
✔️ 10

✏️शिकार करना, जुआ खेलना ,दिन में सोना ,दूसरे की निंदा करना स्त्रियो मे आसक्ति,नशा करना, नाचना ,गाना ,बजाना ,व्यर्थ घूमना     

3⃣ काम और क्रोध से उत्पन्न होने वाले दोषों का मूल कारण क्या है?
 ✔️ लोभ

4⃣संकेत ग्रह के कितने साधन बताए गए हैं
✔️8

5⃣शूद्रक द्वारा रचित मृच्छकटिकम् प्रकरण मे संस्कृत बोलने वाले  पात्रों की संख्या है ?
✔️ ६

6⃣स्वल्पोछिष्टस्तु तद्हेतु़....... विस्तार्यनेकधा: । रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए? 
 ✔️बीजं

✏️ दशरूपककार धनञ्जय ने अपनी रचना दशरूपक मे  पाँच अर्थप्रकतियाँ बताई है  

बीजं,  बिंदु, पताका, प्रकरी और कार्य  
    

7  वर्णस्वराद्युच्चारणप्रकारो यत्र शिक्ष्यते उपदिश्यते सा शिक्षा"  शिक्षा के संबंध में यह परिभाषा किसने दी है ? 

✔️सायणाचार्य ने 

 

8.शिक्षा के कितने अंग है

✔️? 6 

✏️वर्ण,स्वर,मात्रा,बल,साम,सन्तान

 

9.रामायण पर वैद्यनाथ  दीक्षित ने कौन सी टीका लिखी?

  ✔️दीपिका

 

10. गोविंद राज ने रामायण पर कौन सी टीका लिखी ✔️रामायण भूषण 

 

नोट रामायण पर 15वी,16वी,17वी शताब्दियो मे कई टीकाएँ लिखी गई थी ।अत: इनकी भी जानकारी हमें होनी चाहिए क्योंकि परीक्षाओं में टीकाओ से संबंधित प्रश्न भी पूछे जाते हैं इसलिए आप इनका अध्ययन करें 👇
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रामायण ग्रन्थ की टीकाएँ

11.गंगाअवतरण "की कथा रामायण के किस कांड में है? 

✔️बालकांड  35 वे सर्ग से 44 वे सर्ग तक 

12.ऋषि श्रॄंग आख्यान बालकांड के किस 

 सर्ग में वर्णित है?

✔️ 10वे सर्ग  से 15 वे सर्ग तक


 ✏️ मरुतोत्पति आख्यान बालकांड के 46 वे सर्ग से 47 
वे सर्ग तक

 ✏️ अहिल्या आख्यान बालकांड के  49 में

 सर्ग में है

 ✏️   शुनशेपाख्यान  बालकांड के 62 वे सर्ग में         
  read more👇रामायण महाकाव्य से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण तथ्य#महषिवाल्मीकि की रामायण 
धन्यवाद
 उम्मीद करते है आप फिर  यहाँ से कुछ जानकारी पायेंगे



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मंगलवार, 3 मार्च 2020

मृच्छकटिकम् (प्रकरण) # संस्कृत साहित्य में शूद्रक की रचना#mrichchhakatikam

मच्छकटिकम् प्रकरण के सम्बन्ध में सामान्य तथ्य 

रचयिता---शूद्रक,
 अंक-10,
 रस-श्रृंगार,
नायक-चारुदत्त(एक निर्धन ब्राह्मण)  , नायिका --वसन्तसेना (एक गणिका)  चारुदत्त की पत्नी-धूता,  चारुदत्त का पुत्र- रोहसेन,  प्रतिनायक--शकार

,प्रकरण के नामकरण का आधार----** षष्ठ अंक **********                                             
प्रकरण के प्रत्येक अंक का शीर्षक इस प्रकार है----------
प्रथम अंक--अलंकार न्यास, द्वितीय अंक---धूतकर -संवाहक , तृतीय अंक----सन्धिच्छेद, चतुर्थ अंक---मदनिका-शर्विलक     पंचम अंक----दुर्दिन,  षष्ठ अंक---प्रवहण-विपर्यय,   सप्तम अंक--- आर्यकापहरण   अष्टम अंक---वसन्तसेना मोचन ,नवम अंक---व्यवहार, दशम अंक---संहार(उपसंहार)

 मच्छकटिकम् (mrichchhakatikam) से संबंधित अन्य पोस्ट पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें  

मृच्छकटिकम् प्रकरण#mrichchhkatikam# संस्कृत साहित्य


/>                                                       धन्यवाद