रविवार, 23 मई 2021

कुछ नही किया आज#खालीपन#अपने लिए समय निकालना भी जरूरी

 

#कुछ नही किया आज#खालीपन

चाहे पुरा दिन किसी काम में बिजी रहे लेकिन जब तक हम अपनी आत्मसंतुष्टि का कोई भी काम या कहे हाँबी के लिए समय नही देते तब एक खालीपन का भाव रहता है। सब की चाँइसेज अलग है कोई जब तक योगा नही करे उसे लग सकता है आज का दिन तो बेकार ही गया, लेकिन हो सकता किसी को यह खुशी गिटार बजाने में मिले, कोई नृत्य के द्वारा और कोई लेखन के माध्यम से आत्मसंतुष्टि प्राप्त करे,कोई पक्षियों को दाना डालकर, तो कोई कुछ समय दोस्तो से बतियाकर,कोई एकांत में समय गुजार कर अपने दिन को उद्देश्यपूर्ण और अच्छा बनाना चाहता है ताकि दिन के खत्म होने पर रात्रि मे सुकून से सो जाये यह मलाल नही रहे यार आज का दिन अच्छा नही था आज कुछ नही किया मैने पूरा दिन ऐसे ही निकल गया।  जब तक हम कुछ समय अपने लिए नही निकाले लगता है कुछ नही किया आज इस पश्चाताप से अच्छा है जितना भी समय हम निकाल  पाये अपने लिए निकाले जिन्दगी की भागदौड़ तो चलती रहेगी।


धन्यवाद🙏 इस सम्बन्ध में मेरे विचारों को पढ़ने के लिए बहुत

बहुत आभार  


संस्कृत व्याकरणात्मक टिप्पणियाँ

 वसुधैव=वसुधा+एव = वृद्धि संधि

यत्रैकता=यत्र +एकता =वृद्धि संधि

देशः=दिश् धातु+घञ् प्रत्यय

देवता= देव+तल्+टाप्

बलवान=बल+मतुप प्रत्यय

रक्षितुं=रक्ष् धातु+तुमुन प्रत्यय

प्रभवति=प्र उपसर्ग+भू धातु+लट् लकार प्रथमपुरुष,एकवचन

एकता=एक+तल् प्रत्यय+टाप् प्रत्यय

जायन्ते=जन् धातु ,

( आत्मनेपदी )लट्लकार प्रथम पुरूष,बहुवचन

भवेयुः=भू धातु, विधिलिड्ग लकार,प्रथम पुरुष,बहुवचन

गीतम्=गा धातु+क्त प्रत्यय

ऋग्वेदेऽपि=ऋग्वेद+अपि

=पूर्वरूपसंधि

तेषां=तत् शब्द षष्ठी विभक्ति,बहुवचन

विचारा: वि उपसर्ग+चर् धातु +घञ् प्रत्यय=विचार:

विचारः शब्द से प्र.विभक्ति का बहुवचन

युक्ता=युज् धातु+क्त प्रत्यय, प्रथमा वि का बहुवचन

शान्तिश्च =शान्तिः+च (विसर्ग संधि)

देशाग्रणी =देश+अग्रणी (वृद्धि संधि)

 महिमा =महत् शब्द से इमनिच प्रत्यय करने पर, यह पुल्लिंग शब्द है।

भावनया=भावना शब्द से,तृतीया वि.का एकवचन,स्त्रीलिंग

उन्नति= उद उपसर्ग +नम् धातु +क्त्तिन प्रत्यय

जिघ्रेत=घ्रा धातु, लट् लकार,प्रथम पुरुष,एकवचन

अस्मरन्= स्मृ धातु, लड़ लकार,प्रथम पुरुष,बहुवचन







शुक्रवार, 7 मई 2021

"माँ"❤❤ गागर में सागर" #mothers day special

दोस्तों, मेरी द्वारा स्वरचित यह कविता दुनिया की प्रत्येक❤माँ❤के चरणों में समर्पित है।आप सबका आशीर्वाद हमारे जीवन को और महकाये ।
आप सभी को कोटि कोटि वन्दन✍️🙏🙏🙏🙏
  

कविता=माँ गागर में सागर


                ❤🎁 "माँ गागर में सागर"🌹🎁

" माँ " एक छोटा सा  शब्द है लेकिन  जिसमे सभी महाकाव्य समाने का सामर्थ्य है....
माँ  का प्यार पाने को भगवान भी बालरूप बनाते है.....
तीन लोको के स्वामी होकर भी उसकी ममता का मोल कहाँ चुका पाते है.......
माँ की अनमोल ममता पाने को भगवान भी तरस जाते है....
दुनिया को अपने इशारो पर नचाते होंगे .....
लेकिन खुद  माँ की प्यार भरीडाँट खाते है.....
माँ " एक छोटा सा  शब्द है लेकिन इसमे छिपा महान अर्थ है.....

माँ क्या है उसे कैसे बयाँ करु मै फिर भी भावना की कलम से माँ के लिए कुछ शब्द भेंट करती हूँ......
मां संस्कारों की बगिया है माँ रिश्तो को पिरोने वाली सुंदर माला है.....
मां श्रद्धा की रंगोली है।माँ आशीषो से भरी झोली है....
माँ ईश्वर की प्रतिनिधि है।माँ सौभाग्य और सिद्धि है....
माँ करुणा की खान है। माँ बच्चों के लिए भगवान है....
माँ ज्ञान रूपी ज्योति है। माँ इस संसार में दिव्य मोती है...
माँ महिमा भरा पुराण है माँ एक पवित्र कुरान है...
माँ मेरे लिए प्रख्यात हस्ती है जिसमें मेरी दुनिया बसती है...
जिंदगी एक समुद्र है तो उससे उबारने वाली कश्ती है....

माँ " एक छोटा सा  शब्द है लेकिन  जिसमे सभी महाकाव्य समाने का सामर्थ्य है......


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https://notionpress.com/read/shobha-srishti 

धन्यवाद