नमस्कार, दोस्तो आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर मेरी यह कविता नारी शक्ति को समर्पित है जिसमें नारी के सच्चे स्वरूप की व्याख्या की गई है मैं जानती हूँ कि मेरे क्या किसी के भी शब्द कम है नारी के विराट व्यक्तित्व को समझने और समझाने के लिए
कविता=नारी का सच्चा स्वरूप
तू रूद्र रूप है, करुणा रूप, वात्सल्य रूप है तू ही।
तेरे पावन हृदय में भावों की सरिता बहती है।
अपनों के सुखों के खातिर तू इतने
कष्टों को सहती है।
तू सृष्टि की निर्मात्री है मानव की
जन्म दात्री है।
तू ममता है कमजोर नहीं
तू समता है कमजोर नहीं
तेरे इस रूप को बारंबार प्रणाम है।
तेरी इस महिमा को गाता धर्म पुराण है।
तूने ही इस धरा को संवारा है।
तूने ही निर्मल सौंदर्य तराशा है।
तू सुख ऐश्वर्य की विभूति है।
परम कल्याणमयी प्रतिमूर्ति है।
तू लक्ष्मी है, माँ विद्यादायिनी है।
काली है, कात्यायनी है।
तू दुर्गा है, माँ गौरा है।
ये तेरे ही अभिन्न स्वरूपा है।
हे चंडमुंड संहारिणी
हे महिषासुर वधकारिणी
तुझे इस शक्ति स्वरूप को फिर से धारण
करना होगा।
दानव रूपी मानव का सृष्टि से
मर्दन करना होगा।
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