रामायण महाकाव्य से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य
रामायण/ramayan |
रामायण का समय 500ईसा पूर्व
सगो की संख्या--645
कुल कांड --7,24000 श्लोक
रचयिता -महर्षि वाल्मीकि (आदि कवि की उपाधि)
रामायण महाकाव्य में मुख्य रस -- करुण रस
रामायण में सबसे अधिक बार प्रयुक्त छंद कौन सा है ?-अनुष्टुप छंद
Note आदि कवि महर्षि वाल्मीकि के मुख से सर्वप्रथम जो श्लोक निकला था वह अनुष्टुप छंद मे ही था
रामायण के सात कांडों के नाम तथा उनमे सर्गो की संख्या
b>जैसा की आप सभी जानते है कि रामायण में कुल 7कांड है जिनमें क्रमबद्ध रूप से रामायण की कथा को आगे बढ़ाया गया है।इन सभी कांडों का इस महाकाव्य में बहुत ही महत्व है आइए हम रामायण के सभी कांडों में वर्णित महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में कुछ जानकारी प्राप्त कर लेते हैं
1.बालकांड (Bal Kand)--- यह रामायण का प्रथम कांड इसमें कुल77सर्ग है रामायण के बालकांड में प्रारंभिक चार सर्गो में रामायण रचना की पूर्वपीठिका दी गई है जिसमें नारद महर्षि वाल्मीकि को राम का जीवन चरित बताते है इसके पश्चात कौच युगल करुण क्रन्दन सुनकर को सुनकर बाल्मीकि के हृदय में करुणा उत्पन्न होती है अत्यंत क्रोधित हो कर शिकारी को शाप देते हैं यह श्लोक करुण रस से भरा हुआ था इसके पश्चात ही बाल्मिकी राम कथा लिखने में संलग्न हुए।
बालकांड में राजा दशरथ की नीति और उनका शासन , संपादित पुत्रेष्टि यज्ञ ,राम लक्ष्मण भरत और शत्रुघ्न का जन्म ,विश्वामित्र द्वारा राम लक्ष्मण को अपने साथ ले जाना, विश्वामित्र द्वारा दोनों भाइयों को अनेक विद्याओं की शिक्षा देना, विश्वामित्र द्वारा सुनाई गई गंगा पार्वती के जन्म ,कार्तिकेय का जन्म वृतांत ,राजा सागर और उनके साथ हजार पुत्रों का जीवन ,भागीरथ का जीवन, गंगा का पृथ्वी पर अवतरण, दीति और अदीति , समुद्र मंथन,गौतम अहिल्या, वशिष्ठ और विश्वामित्र का पारस्परिक संघर्ष, त्रिशंकु की महत्वाकांक्षा, राजा अम्बरीष, विश्वामित्रका तपोवन, सीता स्वयंवर के प्रसंग वर्णित है।
अयोध्या कांड-- अयोध्या कांड में एक 119सर्ग है इसमें राम के राज्याभिषेक की तैयारी, मंत्रा के बहकाने पर कैकेई द्वारा राजा दशरथ से दो वर माँगना, जिनमें राम के लिए 14 वर्ष का वनवास,और अपने पुत्र भरत का राज्याभिषेक,राम का लक्ष्मण और सीता सहित वन को गमन, दशरथ का राम के वियोग में प्राणत्याग देना ,भारत द्वारा राज्य को ठुकराना, अपने भाई राम को मनाने के लिए चित्रकूट गमन, राम की अयोध्या आने के लिए अस्वीकृति भारत द्वारा राम की पादुकाओं को अयोध्या लाना , भरत का शपथ ग्रहण,राम भारत को राजधर्म का उपदेश देते है जाबालि का नास्तिक मत, राम द्वारा उसका खंडन,राम का चित्रकूट छोड़कर दंडकारण्य में प्रवेश का वर्णन इसी कांड में है
अरण्यकांड --इसमें 75सर्ग है इसमें राम लक्ष्मण सीता का दण्डकारण्य में निवास करना,बिराध जैसे राक्षसों का वध करना, पंचवटी में प्रवेश, शूर्पनखा का आगमन , उसका राम लक्ष्मण से विवाह के लिए याचना ,लक्ष्मण द्वारा उसकी नाक काटना ,खरदूषण आदि चौदह हजार राक्षसों का वधकरना ,रावण द्वारा सीता का हरण ,जटायु द्वारा सीता की रक्षा के लिए प्रयास करना, जटायु का रावण द्वारा वध , राम लक्ष्मण सीता की खोज करते है , राम की कबंध राक्षस से भेंट ,शबरी प्रसंग ,शबरी द्वारा सुग्रीव सेेे मित्रता का परामर्श देना ,पंपा सरोवर के दर्शन आदि घटनाएं यहाँ वर्णित है।
b>किष्किंधा कांड --इसमेंं 67सर्ग है इस कांड की प्रमुख घटनाएं है --हनुमान द्वारा राम और सुग्रीव की मित्रता कराना, राम द्वारा सुग्रीव के भाई बाली का वध करना ,सुग्रीव और अंगद का राज्याभिषेक ,सुग्रीव का राम को सीता माता की खोज के लिए वचन देना, राम का प्रस्त्रवणगिरी पर 4 माह तक जीवन यापन, सुग्रीव द्वारा वानर सेना को सीता माता की खोज करने का आदेश, हनुमान की संपाति से भेंट, संपाति द्वारा सीता केेेे रावण की अशोक वाटिका में होने की सूचना , जामवंत हनुमान को उनकी स्वयं की शक्ति को जगाने के लिए उद्बोधन करते हैं।
सुंदरकांड -- इसमें68 सर्ग है हनुमान का लंका में अशोक वाटिका में पहुंचना सीता मां के दर्शन करना सीता मां को श्रीराम की अंगूठी देना, श्रीराम का संदेश सुनाना अशोक वाटिका का हनुमान द्वारा उजाड़ना, लंकापति रावण के आदेश पर हनुमान की पूंछ में आग लगाना ,हनुमान का समुद्र में पहुँचकर आग बुझाना पुन: सीता का संदेश लेकर अपने स्वामी श्री राम तक पहुंचने का वर्णन है
युद्ध कांड या लंका कांड रामायण के 7 कांडों में यह का सबसे बड़ा है इसमें 128 सर्ग है।इस कांड के अंतर्गत राम रावण के युद्ध का वर्णन है राम रावन को मारकर किस प्रकारअयोध्या आते हैं ,का वर्णन है विभीषण का राज्यभिषेक, सीता की अग्नि परीक्षा, ब्रह्मा द्वारा भगवान राम की स्तुति, दशरथ और इन्द्र के उपदेश ,भारद्वाज आश्रम से हनुमान को भारत के पास अयोध्याआगमन की सूचनार्थ भेजना, रामभरत का मिलन, राम का राज्याभिषेक राम द्वारा प्रजा पालन आदि के वृतांत इसमें है
उत्तर कांड इसमें कुल एक सौ ग्यारह सर्ग है कुछ विद्वान इस काण्ड को प्रक्षिप्त मानते हैइस कांड में भी बाल कांड के समान अनेक इतिहास और पौराणिक आख्यानो कीभरमार हैसीता का जनअपवाद, सीता का परित्याग राजा नृग उर्वशी,ययाति महर्षि वशिष्ठ के आख्यान , शत्रुघ्न द्वारा लवणासुर का वध, लव कुश का जन्म, राम का अश्वमेध यज्ञ करना लव कुश का रामायण,सीता का पृथ्वी में समाना कौशल्या आदि माताओ का परलोक गमन , लव कुश का राज्य अभिषेक महत्व स्थान श्री राम महाप्रस्थान जैसे सभी वृतांत यहाँ वर्णित है।
Nishkarsh इस प्रकार समग्र रूप में देखा जाए तो रामायण में कुल 645 सर्ग है और 24000 Shlok है बालकांड के प्रारंभ में 500 सर्गो उल्लेख है अत:145 सर्ग प्रक्षप्तांश प्रतीत होते है।
रामायण महाकाव्य केकथानक को आधार बनाकर रची गई रचनाए
b>भास प्रणीत अभिषेक नाटक, प्रतिमा नाटकमुरारी प्रणीत अनर्घराघव महाकाव्य
जयदेव प्रणीत प्रसन्न राघवम्
भवभूति प्रणीत उत्तररामचरितम् महावीरचरितम् नाटक
कालिदास प्रणीत रघुवंशम् महाकाव्य
कुमार दास प्रणीत जानकी हरण महाकाव्य
रामायण और महाभारत दोनों आर्ष महाकाव्य माने जाते हैं
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