संस्कृत में कारक प्रकरण
#संस्कृत व्याकरण के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
#karak in sanskrit
○मोक्षाय हरिं भजति
○मुक्तये हरिं भजति
○काव्यं यशसे भवति
उपरोक्त वाक्यों में कौन सी विभक्ति है?
○ चतुर्थी विभक्ति
○अगर किसी उद्देश्य, प्रयोजन से कोई कार्य किया जाता है
○मुक्तये हरिं भजति
○काव्यं यशसे भवति
उपरोक्त वाक्यों में कौन सी विभक्ति है?
○ चतुर्थी विभक्ति
○अगर किसी उद्देश्य, प्रयोजन से कोई कार्य किया जाता है
तो उसमें चतुर्थी विभक्ति होती है
"तादर्थ्ये चतुर्थी वाच्या" सूत्र के अनुसार
भक्ति ज्ञानाय कल्पते, सम्पद्यते वा
इस वाक्य में चतुर्थी विभक्ति किस सूत्र से है?
क्लृपि सम्पद्यमाने च सूत्रानुसार
समर्थ अर्थ वाली धातुओं के प्रयोग में चतुर्थी विभक्ति होती है।
वाताय कपिला विद्युत्।( पीली बिजली
भक्ति ज्ञानाय कल्पते, सम्पद्यते वा
इस वाक्य में चतुर्थी विभक्ति किस सूत्र से है?
क्लृपि सम्पद्यमाने च सूत्रानुसार
समर्थ अर्थ वाली धातुओं के प्रयोग में चतुर्थी विभक्ति होती है।
वाताय कपिला विद्युत्।( पीली बिजली
आंधी की सूचक है।)
तापाय अतिलोहिनी। (लाल बिजली अत्यंत धूप
तापाय अतिलोहिनी। (लाल बिजली अत्यंत धूप
कीसूचक है)
इन वाक्यों में चतुर्थी विभक्ति किस सूत्र से हुई है?
उत्पातेन ज्ञापिते वा सूत्रानुसार शुभ अशुभ को बताने में,
इन वाक्यों में चतुर्थी विभक्ति किस सूत्र से हुई है?
उत्पातेन ज्ञापिते वा सूत्रानुसार शुभ अशुभ को बताने में,
पृथ्वी आदि के उत्पादों को सूचित करने में
चतुर्थी विभक्ति होती है।
दैत्येभ्यो हरि अलम्। इस वाक्य में चतुर्थी विभक्ति
दैत्येभ्यो हरि अलम्। इस वाक्य में चतुर्थी विभक्ति
किस शब्द के कारण हुई है?
अलम्
यहां अलम् शब्द का अर्थ निषेध न होकर पर्याप्त है क्योंकि निषेध अर्थ में अलम् का प्रयोग होने पर
अलम्
यहां अलम् शब्द का अर्थ निषेध न होकर पर्याप्त है क्योंकि निषेध अर्थ में अलम् का प्रयोग होने पर
चतुर्थी के स्थान पर तृतीया विभक्ति आएगी।
सज्जना: दुष्टेभ्य: क्रुध्यति
हरये असूयति ईर्ष्यति वा
उपर्युक्त वाक्यो में किसकी सम्प्रदान संज्ञा हुई है?
सज्जन और हरि की
जिसकी सम्प्रदान संज्ञा होती है उसमे चतुर्थी वि. लगती है।
सः.........अभिक्रुध्यति(हरि:)
सः.............क्रुध्यति(हरि)
रिक्त वाक्यो की पूर्ति कीजिए
सः हरिम् अभिक्रुध्यति (क्रुधद्रुहोरूपसृष्टयोः कर्म सूत्र से)
सः हरये क्रुध्यति( क्रुधद्रुहेर्ष्यासूयार्थानां यं प्रति कोपः)
ध्यान रखने योग्य बात यह है कि क्रुध,द्रुह,ईष्य,असूय आदि धातुओ में उपसर्ग लगने पर चतुर्थी विभक्ति के स्थान पर द्वितीय विभक्ति आएगी
गोपी स्मरात् कृष्णाय हनुते, शलाघते, तिष्ठते, शपते
सज्जना: दुष्टेभ्य: क्रुध्यति
हरये असूयति ईर्ष्यति वा
उपर्युक्त वाक्यो में किसकी सम्प्रदान संज्ञा हुई है?
सज्जन और हरि की
जिसकी सम्प्रदान संज्ञा होती है उसमे चतुर्थी वि. लगती है।
सः.........अभिक्रुध्यति(हरि:)
सः.............क्रुध्यति(हरि)
रिक्त वाक्यो की पूर्ति कीजिए
सः हरिम् अभिक्रुध्यति (क्रुधद्रुहोरूपसृष्टयोः कर्म सूत्र से)
सः हरये क्रुध्यति( क्रुधद्रुहेर्ष्यासूयार्थानां यं प्रति कोपः)
ध्यान रखने योग्य बात यह है कि क्रुध,द्रुह,ईष्य,असूय आदि धातुओ में उपसर्ग लगने पर चतुर्थी विभक्ति के स्थान पर द्वितीय विभक्ति आएगी
गोपी स्मरात् कृष्णाय हनुते, शलाघते, तिष्ठते, शपते
इस वाक्य मे चतुर्थी वि.किस सूत्र से है?
श्लाघहनुड्.स्थाशपां ज्ञीप्समान सूत्र से
विप्राय गां प्रतिश्रॄणोति, आश्रॄणोति प्रति या आ उपसर्गपूर्वक
श्लाघहनुड्.स्थाशपां ज्ञीप्समान सूत्र से
विप्राय गां प्रतिश्रॄणोति, आश्रॄणोति प्रति या आ उपसर्गपूर्वक
श्रु धातु के योग में जिससे प्रतिज्ञा की जाती है
उसमें संप्रदान कारक किस सूत्र से होता है?
प्रत्याड्. भ्यां श्रुवः पूर्वस्य कर्ता सूत्र से
दोस्तों से पूर्व में भी संस्कृत कारक प्रकरण से संबंधित पोस्टस लिखी जा चुकी है अधिक जानकारी और अभ्यास हेतु आप नीचे दी जा रही लिंक पर क्लिक कर उन्हें पढ़ सकते हैं
प्रत्याड्. भ्यां श्रुवः पूर्वस्य कर्ता सूत्र से
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