पंडित अम्बिका दत्त व्यास जी का जन्म हुआ था जयपुर में घटिकाशतक किस कवि की उपाधि है? अम्बिका दत्त व्यास की काशी की महासभा ने व्यास जी को किस उपाधि सेविभूषित किया भारतरत्न शिवराजविजयम् का कथानक है ? एेतिहासिक महाराष्ट्र शिरोमणि शिवाजी की जीवनी पर आधारित एेतिहासिक उपन्यास है? शिवराज विजयम् शिवराजविजयम् उपन्यास में प्रधान रस है? वीररस विष्णोर्माया भगवती यया सम्मोहितं जगत श्रीमद्भागवत के दशम स्कन्ध का यह श्लोक मंगलाचारण के रूप में उल्लेखित है?----शिवराजविजयम् बीजापुर का नवाब है?---शाइस्ता खाँ कन्या के अपहरण कर्ता नवयुवक को किसने मारा? गौरसिंह ने अफजल खान के तीनों अश्वों को मारकर पांच ब्राह्मण पुत्रों को मारकर छुडाने वाला वीर है? गौरसिंह विजयतां शिववीर:सिद्धयन्तु भवतां मनोरथा: यह किसने कहा?----योगिराज ने "कार्यं वा साधयेयं देहं वा पातयेयम्" इस प्रकार की महान प्रतिज्ञा किसने की ? शिवाजी ने सत्यं न लक्षितो मया समयवेग: यह कथन किसका है? योगिराज का विक्रमराज्ये अपि कथमेष पातकमयो दुराचाराणामुपद्रव: यह कथन किसका है? योगिराज का "अद्य न तानि स्त्रोतांसि नदीनाम्,न सा संस्था नगराणाम्, न सा आकृतिर्गिरीणाम्" यह कथन किसका है? ब्रह्मचारीगुरु का योगिराज ने दूसरी बार समाधि कब लगायी थी ? ---- राजा विक्रमादित्य के समय में विक्रमादित्य को भारत भूमि छोडकर गए हुए कितना समय बीत गया? 1700वर्ष सोमनाथ मंदिर को ध्वस्त किसने किया? महमूद गजनवी ने योगीराज विक्रमादित्य के बाद जब समाधि से जागे उस समय दिल्ली का शासक था ? औरंगजेब योगिराज के समाधि से जागने के समय शिवाजी निवास कर रहे थे? सिंह दुर्ग में सोमनाथ मंदिर स्थित है?---गुजरात में जंगल में अकस्मात भालू के आ जाने से नवयुवक कन्या को छोड़कर किस वृक्ष पर चढ़ गया? शाल्मली वृक्ष पर "अलम् भो अलम् !मयैव पूर्वमवचितानि कुसुमानि त्वं तु चिरं रात्रावजागरीरिति क्षिप्रं नोत्थापित:"यह कथन किसका है? श्यामबटु का मुने!विलक्षण अयम् भगवान सकलकलाकलापकलन:सकलकालन: कराल काल:यह कथन किसका है ? योगिराज का " धिगस्मान् ये अद्यापि जीवाम: श्वसिम:विचराम: आत्मन आर्यवंश्यांश्च अभिमन्यामहे"यह कथन किसका है ? ब्रह्मचारी गुरु का अहो चिररात्राय सुप्त अहम् स्वप्नजालपरतन्त्रेणैव महान् पुण्यमय:समय अतिवाहित: यह कथन किसका है? गौर बटु का शिवराजविजयम् नामक उपन्यास का प्रारम्भ किस वर्णन से होता है-----सूर्य के वर्णन से विशेष----"शिवराज विजयम्" नामक एतिहासिक उपन्यास 1870ई.में लिखा गया ,जो काशी से 1901 ई. में प्रकाशित हुआ। शिवराज विजय की सम्पूर्ण कथा तीन विराम,12 नि:श्वासों में विभक्त है। यह संस्कृत भाषा का प्रथम ऐतिहासिक उपन्यास है। "शिवराजविजयम्" में पांचाली रीति का प्रयोग हुआ है।
3 टिप्पणियां:
Bahut Achchhe
प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद
Bahut khoob sir
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