जहाँ से आपको ज्ञान मिले, जो आपको अपने सपनो के करीब ले जाये,जो आपको अपने आप से रुबरू करवाये,आपके जीवन में छाये अँधकार को छाँटकर जीवन में एक नई रोशनी भर दे........उसी का नाम है गुरु
जरुरी नही जिसने आपको कुछ किताबें पढा़कर स्कूल,काँलेज में आपको अच्छे अंक लाने में मदद की हो,या फिर जिसने गुरु मंत्र दिया हो जिसे आप सुबह शाम मनके से जाप करते हो उसे ही गुरु कहा जाये..
सृष्टि में व्याप्त चेतन-अचेतन कुछ भी जो आपके ह्रदय में उससे मिली किसी प्रेरणा के प्रति आस्थावान बना दे, उसके प्रति सच्चे सम्मान के भाव जाग्रत करे , भटके जीवन को एक राह दिखाये जिसकी तलाश में आप न जाने कब से थे, आपके अनसुलझे प्रश्नों का उत्तर जानने में आपकी मदद करे......सच्चे अर्थो में वही गुरु है......यदि इन अर्थों में देखा जाये तो गुरु को किसी सीमा में नही बाँधा जा सकता है।
जिस प्रकार ज्ञान असीमित है उसी प्रकार गुरु की परिभाषा असीमित है ज्ञान अनन्त है उसी प्रकार गुरु की महिमा भी अनन्त है........
ये सिर्फ और सिर्फ आपकी आस्था पर निर्भर है कि आप किसे गुरु की श्रेणी में रखते है....एक शिशुसे लेकर वृद्ध तक, चेतन से लेकर अचेतन तक गुरु की परिभाषा में आ सकते है.......
जिस प्रकार एक पत्थर भी भगवान हो सकता है उसी तरह जहाँ श्रद्धा से शीश झुक जाये वही गुरु के दर्शन भी हो सकते है........
गुरु पूर्णिमा के इस पावन महोत्सव पर माता- पिता,भाई-बहिन,मित्र,सहपाठी, कागज कलम,पुस्तके जिससे भी मैने जीवन में कुछ न कुछ अच्छा सीखा है ...उन्हे सादर धन्यवाद✍️🙏🙏
सभी को गुरुपूर्णिमा के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ