सोमवार, 3 दिसंबर 2018

किरातार्जुनीयम् महाकाव्य से संबन्धित प्रमुख शब्दार्थ

संस्कृत शब्द और उनके अर्थ-                                        श्रिय:- लक्ष्मी     मही- पृथ्वी   महीभुज्- राजा        वर्णिलिड्गी- ब्रह्मचारी   रहसि-एकान्त में   निरत्यय-बाधा रहित,   भूभृत-राजा   औदार्यम्- उदारता   साम-मधुर वचन    मन्युना-क्रोध से  अमात्य-मन्त्री   क्रियापवर्गेषु- कार्य समाप्त होने पर    अधिष:-राजा   परेतरान्-शत्रुओ से इतर (मित्र)       सज्यम्-डोरी, आवारिधि-समुद्रपर्यन्त    भिय:-विपत्तियाँ           वासव-इन्द्र   वासवोपम:- अर्जुन    आखण्डलसूनु:- अर्जुन       विष्वक-सब और से    कचाचितौ-बालो से व्याप्त   विधेयम्-योग्य   परप्रणीतानि-दूसरो के द्वारा कही गई    प्रसभम्-बलपूर्वक   अपाकृती-अपमान     विनियन्तुम्-सहन करने योग्य    अदभ्रदर्भाम्-कुशों से व्याप्त    शिवारुतै:-श्रृंगालियों की ध्वनि     प्रमदा-नारी,   अधिक्षेप:-अपमान         स्त्रक-माला   निशित-तीक्ष्ण   इषु:-बाण    कुलजाम्-कुल परम्परा से प्राप्त    अमर्षशून्य- क्रोधरहित   द्विषनिमित्ता- शत्रुओ के कारण   सन्धेहि-धारण करना    निस्पृहा-जिसकी ईर्ष्या निकल गई (निष्काम)   दूरसंस्थे-दूर स्थित होने पर   प्रत्यासन्ने-निकट आने पर   पुर:सरा:-अग्रणी    निकारम्-अपमान  क्षामम्-शान्ति    दयिता-पत्नी  जीमूतेन-बादल   कार्मुकम्-धनुष   लक्ष्मीपतिलक्ष्म-राजचिन्ह से युक्त   व्याजहार-बोलना  भूरिधाम्न: परमपराक्रमी   क्षितीक्षा:-राजा लोग   सोपधि-छलपूर्वक  संधिदूषणानि-किये गये समझौते को भंग कर देना   पटुकरणै:-समर्थ इन्द्रियो वाले   गुह्यक:-यक्ष   कृषीवलै-किसानो के द्वारा   अकृष्टपच्या-बिना परिश्रम के फसल का पकना      अदेवमातृका;-वर्षा जल के सहारे नहीं रहना     सन्निपात-मिश्रण,  समयपरिरक्षणम्- प्रतिज्ञा का पालन करना,      द्विजातिशेषेण-ब्राह्मणों के भोजन करने से बचा हो।                                       

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