संस्कृत शब्द और उनके अर्थ- श्रिय:- लक्ष्मी मही- पृथ्वी महीभुज्- राजा वर्णिलिड्गी- ब्रह्मचारी रहसि-एकान्त में निरत्यय-बाधा रहित, भूभृत-राजा औदार्यम्- उदारता साम-मधुर वचन मन्युना-क्रोध से अमात्य-मन्त्री क्रियापवर्गेषु- कार्य समाप्त होने पर अधिष:-राजा परेतरान्-शत्रुओ से इतर (मित्र) सज्यम्-डोरी, आवारिधि-समुद्रपर्यन्त भिय:-विपत्तियाँ वासव-इन्द्र वासवोपम:- अर्जुन आखण्डलसूनु:- अर्जुन विष्वक-सब और से कचाचितौ-बालो से व्याप्त विधेयम्-योग्य परप्रणीतानि-दूसरो के द्वारा कही गई प्रसभम्-बलपूर्वक अपाकृती-अपमान विनियन्तुम्-सहन करने योग्य अदभ्रदर्भाम्-कुशों से व्याप्त शिवारुतै:-श्रृंगालियों की ध्वनि प्रमदा-नारी, अधिक्षेप:-अपमान स्त्रक-माला निशित-तीक्ष्ण इषु:-बाण कुलजाम्-कुल परम्परा से प्राप्त अमर्षशून्य- क्रोधरहित द्विषनिमित्ता- शत्रुओ के कारण सन्धेहि-धारण करना निस्पृहा-जिसकी ईर्ष्या निकल गई (निष्काम) दूरसंस्थे-दूर स्थित होने पर प्रत्यासन्ने-निकट आने पर पुर:सरा:-अग्रणी निकारम्-अपमान क्षामम्-शान्ति दयिता-पत्नी जीमूतेन-बादल कार्मुकम्-धनुष लक्ष्मीपतिलक्ष्म-राजचिन्ह से युक्त व्याजहार-बोलना भूरिधाम्न: परमपराक्रमी क्षितीक्षा:-राजा लोग सोपधि-छलपूर्वक संधिदूषणानि-किये गये समझौते को भंग कर देना पटुकरणै:-समर्थ इन्द्रियो वाले गुह्यक:-यक्ष कृषीवलै-किसानो के द्वारा अकृष्टपच्या-बिना परिश्रम के फसल का पकना अदेवमातृका;-वर्षा जल के सहारे नहीं रहना सन्निपात-मिश्रण, समयपरिरक्षणम्- प्रतिज्ञा का पालन करना, द्विजातिशेषेण-ब्राह्मणों के भोजन करने से बचा हो।
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