18पुराणो से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण बिन्दु
नमस्कार ,पिछली Post में आप सभी को महापुराण,उपपुराण क्या है,उनकी संख्या, महापुराण के पंचलक्षण के बारे में कुछ आधारभूत जानकारी दी गई थी , उम्मीद है आप सभी ने वह पोस्ट पढी़ होगी,अगर आपने नही पढ़ी है तो नीचे दिये जा रहे लिंक पर Click करे । आज की पोस्ट में हम 18पुराणो से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण बिन्दुओ को जानेंगे।
महापुराण और उपपुराण
"यस्मात् पुरा हि अनति इदं पुराणम्" यह परिभाषा वायुपुराण में है ।
"पुरार्थेषु आनयतीति पुराणम्" (पूर्वतत्त्व अर्थात् प्रकृति एवं पुरुष के चिन्तन में संलग्न को पुराण कहते है।) यह परिभाषा पद्म पुराण में है।
"पुरा परम्परां वक्ति पुराणं तेन वै स्मृतम्" (प्राचीन परम्परा के प्रतिपादक ग्रंथो को पुराण के नाम से जाना जाता है। यह परिभाषा वायुपुराण में है। सभी पुराणों में प्राचीनतम पुराण ब्रह्मपुराण आकार की दृष्टि से विशालतम् पुराण स्कन्द पुराण (81.000श्लोक)
विष्णु पुराण में पुराणो के पंच लक्षण वर्णित है। महर्षि वेदव्यास ने सर्वप्रथम ब्रह्मपुराण रचा दुर्गा सप्तशती का वर्णन मार्कण्डेय पुराण में है। पद्मपुराण के सृष्टि खण्ड में 76 अध्याय से 81 अध्याय तक नवविधि सृष्टि का वर्णन है। नवविधि सृष्टि मुख्यत तीन सर्गो में विभक्त है। प्राकृत सर्ग , वैकृत सर्ग ,प्राकृत-वैकृत सर्ग (उभयात्मक सर्ग)
प्राकृत सर्ग की संख्या तीन है, वैकृत सर्ग की संख्या पाँच है, प्राकृत-वैकृत सर्ग (उभयात्मक सर्ग) की संख्या एक है। इस प्रकार सम्मिलित रूप में सर्ग (सृष्टि) नौ है। विष्णुपुराण के द्वितीय अध्याय में सृष्टि का संक्षिप्त वर्णन है ।
विष्णु पुराण के अनुसार "अविद्या सर्ग "ब्रह्मसर्ग के अन्तर्गत है मत्स्य पुराण में जलप्रलय की कथा का वर्णन है।
कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने मत्स्य का रूप धारण किया था तथा जल प्रलय के समय मनु की रक्षा की। नारद पुराण के अनुसार मत्स्य पुराण में 15,000 हजार श्लोक है जबकि भागवत पुराण ,ब्रह्मवैवर्त तथा स्वयं मत्स्य पुराण में श्लोक संख्या 14,000 बताई गई है। मार्कण्डेय पुराण मे देवी दुर्गा की स्तुति है। उन्हे आदि शक्ति माना गया है,इसके अतिरिक्त इन्द्र,ब्रह्मा,अग्नि,सूर्य को प्रधान देवता माना है।
भविष्य पुराण में सृष्टि विषयक चर्चा है।इसमें भविष्य वाणी, चारों वर्णो के कर्तव्यो का वर्णन है। श्लोक28,000 श्लोक है। भागवतपुराण वैष्णवों का प्रिय पुराण हैं वैष्णवी इसे पंचमवेद कहते हैं।भागवत पुराण मेंश्रीकृष्ण के जीवन का चित्रण हैं,गोपिकाओं के साथ रास लीलाओं का वर्णन है।
इस महापुराण में 18000श्लोक है जो 12 स्कन्धो मे विभक्त है। ब्रह्माण्ड पुराण माहात्म्यो,स्तोत्रो,उपाख्यानो का संग्रह है।इसका एक अंश "अध्यात्म रामायण" है जो सात खंडों में हैं।इसमें शंकर और पार्वती के वार्तालाप का उल्लेख है।जिसमें राम भक्ति को ही मोक्ष का साधन माना गया है।
ब्रह्मवैवर्त पुराण में श्लोक संख्या अट्ठारह हजार है इस पुराण के चार भाग है ब्रह्म-भाग,प्रकृति-भाग,गणेश-भाग,कृष्ण- जन्म ब्रह्मपुराण इसे आदि पुराण भी कहते हैं इसमें सूर्य को शंकर का स्वरूप ही माना गया है।इसके एक परिशिष्ट को सौर पुराण के नाम से जाना जाता है।
वराह पुराण इसमें भगवान विष्णु के वराह अवतार का वर्णन है।इसमें शिव एवं दुर्गा से संबंधित आख्यान, नचिकेता आख्यान, श्राद्ध, प्रायश्चित आख्यान, गणेश स्तोत्र,मथुरा माहात्म्य आदि का वर्णन है।इसमें 218 अध्याय तथा 10,000 श्लोक माने जाते हैं। कही-कहीं श्लोको की संख्या 24,000 भी बताई गई है वामनपुराण में भगवान विष्णु के वामन अवतार,शंकर पार्वती के विवाह का वर्णन है। इसमें 95,अध्याय तथा 10,000 श्लोक हैं ।
शेष 9 पुराणो की विषय सामग्री तथा अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य Next post में जानेंगे।