पुराण की परिभाषा :- पाणिनि के अनुसार -- पुराभवम् पुराणम्" अर्थात् प्राचीन काल में होने वाली घटना यास्क लिखते है-" पुरानवं भवति पुराणम् " अर्थात जो प्राचीन होकर भी नवीन है वह पुराण है। वायुपुराण के अनुसार "पुरा अनति पुराणम्" प्राचीन काल में जो जीवित था ,वह पुराण है। विष्णुपुराण के अनुसार पुराणो के लक्षण इस प्रकार है सर्गश्चविसर्गश्च वंशो मन्वन्तराणि च । वंशानुचरितं चैव पुराणं पञ्चलक्षणम् ।। 1.सर्ग 2.विसर्ग 3.वंश 4.मन्वन्तर 5,वंशानुचरित सर्ग-- मूल प्रकृति में सत्व रज,तमस इन तीनो गुणो में विक्षोभ उत्पन्न होने से विविध पदार्थो की उत्पत्ति होती है यही "सर्ग" सृष्टि कहलाती है। प्रतिसर्ग -- सृष्टि का प्रलय होना वंश-- देवो,राजाओ,महर्षियों आदि की कुल परम्परा का क्रमबद्ध वर्णन वंश कहलाता है। मन्वन्तर-- मन्वन्तर की संख्या 14 है।मनु ,देवता,मनुपुत्र,इन्द्र,सप्तर्षि,भगवान के अंशावतार इन छ:घटनाओ के वर्णन से युक्त समय मन्वन्तर कहे गए है। वंशानुचरितं-- विभिन्न वंशो में उत्पन्न महर्षियो,राजर्षियो के चरित का वर्णन वंशक्रम से होना ही वंशानुचरित कहलाता है इस प्रकार इन पाँचो विषयो का वर्णन पुराणो में मिलता है। विशेष :--श्रीमद्भागवत पुराण में पुराणों के दस लक्षण बताएँ गए है। महापुराण और उपपुराण देवीभागवत में प्रथमाक्षर की समानता के आधार पर पुराणो का संख्याक्रम बताया गया है मद्वयं भद्वयं ब्रत्रयं वचतुष्टयम् । अनापलिंगकूस्कानि पुराणानि प्रचक्षते ।। उक्त श्लोक के अनुसार मद्वयं का अर्थ "म" अक्षर से प्रारम्भ पुराणो की संख्या दो है , मत्स्य पुराण, मार्कण्डेय पुराण ,"भद्वय" अर्थात् भविष्य पुराण,भागवत पुराण ,ब्रत्रय अर्थात् "ब्र" प्रथमाक्षर से ब्रह्मपुराण,ब्रह्माण्ड पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण ,वचतुष्टय अर्थात्" व" प्रथमाक्षर से वायुपुराण,वामन पुराण, विष्णु पुराण,वाराह पुराण ,"अ" अक्षर से अग्नि पुराण, "न" अक्षर से नारद पुराण,"प" अक्षर से पद्मपुराण, "लिं" से लिंग पुराण, "ग" अक्षर से गरुड पुराण, "कू "से कूर्म पुराण, "स्क" से स्कन्द पुराण इस प्रकार कुल 18पुराण है जिनको महापुराण भी कह सकते है। नोट:---सर्वाधिक बृहद पुराण स्कन्दपुराण है(81000श्लोक ) सर्वाधिक लघु पुराण मार्कण्डेय पुराण है(8000श्लोक) उपरोक्त 18 पुराणो के अतिरिक्त गरुड पुराण में 18 उपपुराण वर्णित है जो इस प्रकार है 1 सनत्कुमार 2 नारसिंह 3 स्कान्द 4 शिवधर्म 5 आश्चर्य 6 नारदीय 7 कपिल 8 कालिका 9 वामन 10 वारुण 11औशनस 12 ब्रह्माण्ड 13 माहेश्वर 14 पाराशर 15 साम्ब 16 सौर 17.मारीच 18 भार्गव पद्म पुराण मे सत्व रज तम गुणो के आधार पर पुराणो का विभाजन किया गया है।
सत्व आधारित (विष्णु सम्बद्ध) विष्णु - नारद-भागवत-गरुड-पद्म-वराह पुराण( 6 पुराण) राजसिक पुराण (ब्रह्म सम्बद्घ)ब्रह्माण्ड, ब्रह्म,ब्रह्मवैवर्त,मार्कण्डेय, भविष्य ,वामन (6पुराण ) तामस पुराण (शिव सम्बद्ध) शिव- लिंग-स्कन्द-अग्नि- मत्स्य,कूर्म पुराण (6पुराण)
सत्व आधारित (विष्णु सम्बद्ध) विष्णु - नारद-भागवत-गरुड-पद्म-वराह पुराण( 6 पुराण) राजसिक पुराण (ब्रह्म सम्बद्घ)ब्रह्माण्ड, ब्रह्म,ब्रह्मवैवर्त,मार्कण्डेय, भविष्य ,वामन (6पुराण ) तामस पुराण (शिव सम्बद्ध) शिव- लिंग-स्कन्द-अग्नि- मत्स्य,कूर्म पुराण (6पुराण)
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