गुरुवार, 25 जून 2020

कविता -बारिश कीबूँदे या अनमोल मोतियो का हार

 


ये आसमां आज इतना उदार लग रहा है इससे बरसती अनगिनत बूँदे
बूँदे नही ,अनमोल मोतियो का हार लग रहा है
यह असीम आसमां आज इन अनमोल मोतियो को
 क्यो डुलका रहा है।
लगता है किसी खुशी मे इन मोतियो को लुटा रहा है।
कही ये मोती पेडो के पत्तो पर है,कही किसी की पलको
पर कही किसी की मुट्ठी मे है, कही किसी के अलको पर
सच मे ये मोती मानो सभी को धनवान कर रहे है
क्यूँकि दिल का पूरा हर अरमान कर रहे है।
आज आसमां से बरस रहे इन मोतियो ने 
इस धरा का दुलहन सा श्रॄंगार किया है।
जैसे मन ही मन कोई बडा आभार किया है।
मस्तक पर  चिन्ता की लकीरे जो गहरी हो रही थी
 वो देखो सिमटसी गई है ।
वर्तमान हालातो से बेरंग हुई आज जिन्दगी 
इन्द्रधनुष सी बन गई है।

धन्यवाद
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शुक्रवार, 12 जून 2020

Lockdown#कविता का शीर्षक:"वर्तमान परिस्थितियों में मजदूरो की व्यथा

कविता का शीर्षक:"वर्तमान परिस्थितियों में
 मजदूरो की व्यथा


अरे, मेरे मजदूर भाईयो की व्यथा आज बढ़ गई है।
 कोरोना की भयावहता उनके ही घर कर गई है।
जिनके हाथों में काम करते करते पड़ जाते थे छाले ।
आज  उन हाथों में न छाले रहे न ही काम रहा ।।
छालों ने भी कभी नहीं दिया इतना दर्द जितना
 आज बिन छालो के पा रहे हैं ।
 देखो, आज उनकी आंखों में बिन छालों के भी 
असहनीय दर्द के आंसू आ रहे हैं।
 आज वह रोटी के लिए दूसरों के मुंह ताक रहे हैं 
और बिन खाये पीये ही दिन काट रहे है।।
सोते जागते वर्तमान की चिन्ता सता रही है।
देखो, एक श्रमदाता की गर्भवती पत्नी प्रसव पीडा़ से
 कराह रही है ।
हम तुम जैसै लोग आने वाले बच्चे के भविष्य के
 सपनो से सने है।
 जबकि उस धरती पुत्र का यही सपना है 
कि उसका आने वाला लाल काल का ग्रास न बने ।।
दूसरो के रहने के लिए ठिकाना बनाते है
 पर आज अपना ठिकाना ढूंढ रहे है।
जो आए थे गांव से शहरों की और बेहतर
 जिंदगी का सपना सजाने के लिए।
  वह लौट रहे हैं आज शहरों से गांव की ओर
 अपनी जिंदगी  बचाने के लिए
  अपने परिजनों के संग हाथों में अपने बचे कुचे सामान का बीड़ा लिए और दिल में समुद्र सी अथाह पीड़ा लिए।।         
कुछ तो अपने घर पहुंच गए ,कुछ ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।
देखकर उनकी कुर्बानी मेरे अंतर्मन ने मुझे झकझोर दिया।।

हे ईश्वर ,मेरे भारत के कर्मवीर सपूतों पर दया का हमेशा हाथरखना
 जब छूटने लगे साथ सभी का, फिर भी अपने साथ रखना।  उनकी दो वक्त की रोटी कभी ना छिने यह ध्यान रखना।
 जोड़ने पड़े न कभी हाथ अमीरों की दहलीजो पर उन्हे
उनके अमूल्य आत्मसम्मान का मान रखना।

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धन्यवाद
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मंगलवार, 9 जून 2020

संस्कृत में कारक प्रकरण #संस्कृत व्याकरण के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर#karak in sanskrit

 संस्कृत में कारक प्रकरण
 #संस्कृत व्याकरण के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
#karak in sanskrit

मोक्षाय हरिं भजति
○मुक्तये हरिं भजति
○काव्यं यशसे भवति
 उपरोक्त वाक्यों में कौन सी विभक्ति है?
चतुर्थी विभक्ति
○अगर किसी उद्देश्य, प्रयोजन से कोई कार्य किया जाता है 
तो उसमें चतुर्थी विभक्ति होती है
 "तादर्थ्ये चतुर्थी वाच्या" सूत्र के अनुसार

 भक्ति ज्ञानाय कल्पते, सम्पद्यते वा
  इस वाक्य में चतुर्थी  विभक्ति किस सूत्र से है?
  क्लृपि सम्पद्यमाने च सूत्रानुसार
 समर्थ अर्थ वाली धातुओं के प्रयोग  में चतुर्थी विभक्ति होती है।

 वाताय कपिला विद्युत्।( पीली बिजली 
आंधी की सूचक है।)
तापाय अतिलोहिनी। (लाल बिजली अत्यंत धूप
 कीसूचक है)
 इन वाक्यों में चतुर्थी विभक्ति किस सूत्र से हुई है?
 उत्पातेन ज्ञापिते वा सूत्रानुसार शुभ अशुभ को बताने में, 
पृथ्वी आदि के उत्पादों को सूचित करने में
 चतुर्थी विभक्ति होती है।

दैत्येभ्यो हरि अलम्। इस वाक्य  में चतुर्थी विभक्ति
 किस शब्द के कारण हुई है?
अलम्
 यहां अलम् शब्द का अर्थ निषेध न होकर पर्याप्त है क्योंकि निषेध अर्थ में अलम् का प्रयोग होने पर
 चतुर्थी के स्थान पर तृतीया विभक्ति आएगी

 सज्जना: दुष्टेभ्य: क्रुध्यति
हरये असूयति ईर्ष्यति वा 
उपर्युक्त वाक्यो में  किसकी सम्प्रदान संज्ञा हुई है?
 सज्जन और हरि की 
जिसकी सम्प्रदान संज्ञा होती है उसमे चतुर्थी वि. लगती है।

सः.........अभिक्रुध्यति(हरि:)
सः.............क्रुध्यति(हरि)
रिक्त वाक्यो की पूर्ति कीजिए
सः हरिम् अभिक्रुध्यति (क्रुधद्रुहोरूपसृष्टयोः कर्म सूत्र से)
सः हरये क्रुध्यति( क्रुधद्रुहेर्ष्यासूयार्थानां यं प्रति कोपः)

ध्यान रखने योग्य बात यह है कि क्रुध,द्रुह,ईष्य,असूय आदि धातुओ में  उपसर्ग लगने पर चतुर्थी विभक्ति के स्थान पर द्वितीय विभक्ति आएगी 

गोपी स्मरात् कृष्णाय हनुते, शलाघते, तिष्ठते, शपते 
इस वाक्य मे चतुर्थी वि.किस सूत्र से है?
श्लाघहनुड्.स्थाशपां ज्ञीप्समान सूत्र से

विप्राय गां प्रतिश्रॄणोति, आश्रॄणोति प्रति या आ उपसर्गपूर्वक 
श्रु  धातु के योग में जिससे प्रतिज्ञा की जाती है
 उसमें संप्रदान कारक  किस सूत्र से होता है?

प्रत्याड्. भ्यां श्रुवः पूर्वस्य कर्ता सूत्र से

 दोस्तों से पूर्व में भी संस्कृत कारक प्रकरण  से संबंधित पोस्टस लिखी जा चुकी है अधिक जानकारी और अभ्यास हेतु आप नीचे दी जा रही लिंक पर क्लिक कर उन्हें पढ़ सकते हैं 


सोमवार, 8 जून 2020

संस्कृत में कारक प्रकरण# संस्कृत व्याकरण के महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

संस्कृत में कारक प्रकरण# संस्कृत व्याकरण के महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

/> ○भुव प्रभव:इस सूत्र से कौनसी विभक्ति होती है?
पंचमी विभक्ति

○"प्रकृत्यादिभ्य उपसंख्यानम्" इस वार्तिक से कौनसी विभक्तिका विधानहै?
तृतीया विभक्ति

○वारणार्थानामीप्सित: सूत्र से किस विभक्ति का विधान है
पंचमी विभक्ति

○ माता गुरुतरा .........(भूमि) रिक्त स्थान मे सही विभक्ति है?
भूमेः ,पंचमी वि.

○..............सुरेश: श्रेष्ठतर:(रमेश) रिक्त स्थान मे सही विभक्ति है?
रमेशात् ,पंचमी वि.
कारण---तरप्, ईयसुन प्रत्ययान्त  शब्दो से दो वस्तुओ व्यक्तियो की तुलना होती है। जिससे श्रेष्ठता बताई जाती है उसमें पंचमी विभक्ति लगती इसलिए रमेश में पंचमी विभक्ति लगी है

समुद्रातपुरी क्रोशे क्रोशम् अस्ति
○वनात् ग्रामो योजनं योजने वा अस्ति
○ इन दोनो विभक्तियो मे मार्गवाची,और दूरी वाले शब्दो में प्रथमा और सप्तमी वि.किस सूत्र से हुई है?
तद्युक्ताध्वनः प्रथमासप्तम्यौ सूत्र से

○ वृक्षात् पत्राणि प्रभवन्ति (वृक्षो से पत्ते निकलते है) यहाँ पंचमी वि. किस सूत्र से है?
भुव प्रभवः सूत्र से

शिक्षकात् व्याकरणं पठति  यहाँ शिक्षक कीअपादान संज्ञा किस सूत्रसे हुई है?
आख्यातोपयोगे सूत्रसे

○......निर्लीयते कृष्ण: (मातृ: )? रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
मातुः

○भीत्रार्थानां भयहेतुः सूत्र से किस संज्ञा का विधान है?
अपादान संज्ञा का

मूषक: मार्जारात् विभेति
○आरक्षकाः चौरात् त्रायन्ते
○ दोनों विभक्तिओं में अपादान संञा होकर पंचमी किस सूत्र से हुई है?
भीत्रार्थानां भयहेतुः

○   जुगुप्सा, विराम ,प्रमादअर्थ वाली धातुओ से वाक्य में कौन सी विभक्ति होती है?
पंचमी विभक्ति

○कृष्णात् भिन्न इतरो वा,वनात् आरात्,  चैत्रात् पूर्वः फाल्गुन , ग्रामात् दक्षिणा, दक्षिणाहि ग्रामात्   इन सभी वायो में पंचमी विभक्ति विधायक सूत्र कौन सा है?
अन्यारादितरर्ते दिक्शब्दाचूत्तरपदाजाहियुक्ते सूत्र से  पंचमी विभक्ति है।

○"तिलेभ्य: प्रतियच्छति माषान् "वाक्य मे पंचमी विभक्ति किस सूत्र से है?

○"प्रतिनिधिप्रतिदाने च यस्मात्" सूत्र से प्रतिनिधि और प्रतिदान अर्थ में प्रति कर्मप्रवचनीय संज्ञक है अतः प्रति के योग में पंचमी विभक्ति होती है

कारक प्रकरण पर पूर्व मे भी जानकरी दी जा चुकी है इससे संबंधित अन्य अभ्यास हेतु  नीचे दी जा रही लिंक पर क्लिक करें

संस्कृत में कारक प्रकरण #karak in sanskrit#sanskrit grammar
संस्कृत में कारक प्रकरणkarak in sanskrit#sanskrit grammar
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